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*[[अलर्क]] काशी नरेश दिवोदास के प्रपौत्र तथा मदालसा और राजा ऋतुध्वज के सबसे छोटे पुत्र थे।
 
*[[अलर्क]] काशी नरेश दिवोदास के प्रपौत्र तथा मदालसा और राजा ऋतुध्वज के सबसे छोटे पुत्र थे।
 
*राजकुमार अलर्क इतने सत्यनिष्ठ और ब्राह्मणों के उपकर्ता थे कि एक बार एक अंधे [[ब्राह्मण]] की याचना पर अपनी आँखें निकालकर उसे दे दीं। [[लोपामुद्रा]] की कृपा से अलर्क सदा तरुण रहे और इन्हें दीर्घायु मिली।
 
*राजकुमार अलर्क इतने सत्यनिष्ठ और ब्राह्मणों के उपकर्ता थे कि एक बार एक अंधे [[ब्राह्मण]] की याचना पर अपनी आँखें निकालकर उसे दे दीं। [[लोपामुद्रा]] की कृपा से अलर्क सदा तरुण रहे और इन्हें दीर्घायु मिली।
*[[वायुपुराण]] के अनुसार निकुंभ के शाप से निर्जन हुई वाराणसी का अलर्क ने '''क्षेमक''' को मारकर उद्धार किया और उसे पुन: बसाया।
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*[[वायुपुराण]]<ref>वायुपुराण 92.68</ref> के अनुसार निकुंभ के शाप से निर्जन हुई वाराणसी का अलर्क ने '''क्षेमक''' को मारकर उद्धार किया और उसे पुन: बसाया।
  
 
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क्षेमक वाराणसी को उजाड़ने वाला एक राक्षस था।[1]

  • अलर्क काशी नरेश दिवोदास के प्रपौत्र तथा मदालसा और राजा ऋतुध्वज के सबसे छोटे पुत्र थे।
  • राजकुमार अलर्क इतने सत्यनिष्ठ और ब्राह्मणों के उपकर्ता थे कि एक बार एक अंधे ब्राह्मण की याचना पर अपनी आँखें निकालकर उसे दे दीं। लोपामुद्रा की कृपा से अलर्क सदा तरुण रहे और इन्हें दीर्घायु मिली।
  • वायुपुराण[2] के अनुसार निकुंभ के शाप से निर्जन हुई वाराणसी का अलर्क ने क्षेमक को मारकर उद्धार किया और उसे पुन: बसाया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय संस्कृति कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: राजपाल एंड सन्ज, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 253 |
  2. वायुपुराण 92.68

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