हरिण

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हरिण का उल्लेख पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत आदि पर्व के अनुसार हरिण ऐरावत कुल में उत्पन्न एक नाग (सर्प) था, जो जनमेजय के सर्प सत्र में जल कर आहुत हो गया था।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 548 |

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