"पराशर" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==")
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=पराशर|लेख का नाम=पराशर (बहुविकल्पी)}}
  
 
*मुनि शक्ति के पुत्र तथा [[वसिष्ठ]] के पौत्र का नाम पराशर था।  
 
*मुनि शक्ति के पुत्र तथा [[वसिष्ठ]] के पौत्र का नाम पराशर था।  
पंक्ति 4: पंक्ति 5:
 
*वसिष्ठ ने उसे शांत किया किंतु क्रोधाग्नि व्यर्थ नहीं जा सकती थी, अत: समस्त लोकों का पराभव न करके पराशर ने राक्षस सत्र का अनुष्ठान किया। सत्र में प्रज्वलित अग्नि में राक्षस नष्ट होने लगे।  
 
*वसिष्ठ ने उसे शांत किया किंतु क्रोधाग्नि व्यर्थ नहीं जा सकती थी, अत: समस्त लोकों का पराभव न करके पराशर ने राक्षस सत्र का अनुष्ठान किया। सत्र में प्रज्वलित अग्नि में राक्षस नष्ट होने लगे।  
 
*कुछ निर्दोष राक्षसों को बचाने के लिए महर्षि [[पुलस्त्य]] आदि ने पराशर से जाकर कहा-'ब्राह्मणों को क्रोध शोभा नहीं देता। शक्ति का नाश भी उसके दिये शाप के फलस्वरूप ही हुआ। हिंसा ब्राह्मण का धर्म नहीं है।' समझा-बुझाकर उन्होंने पराशर का यज्ञ समाप्त करबा दिया तथा संचित [[अग्निदेव|अग्नि]] को उत्तर दिशा में [[हिमालय]] के आसपास वन में छोड़ दिया। वह आज भी वहां पर्व के अवसर पर राक्षसों, वृक्षों तथा पत्थरों को जलाती है। <ref>[[महाभारत]], [[आदि पर्व महाभारत|आदिपर्व]] अध्याय 177 से 180 तक</ref>  
 
*कुछ निर्दोष राक्षसों को बचाने के लिए महर्षि [[पुलस्त्य]] आदि ने पराशर से जाकर कहा-'ब्राह्मणों को क्रोध शोभा नहीं देता। शक्ति का नाश भी उसके दिये शाप के फलस्वरूप ही हुआ। हिंसा ब्राह्मण का धर्म नहीं है।' समझा-बुझाकर उन्होंने पराशर का यज्ञ समाप्त करबा दिया तथा संचित [[अग्निदेव|अग्नि]] को उत्तर दिशा में [[हिमालय]] के आसपास वन में छोड़ दिया। वह आज भी वहां पर्व के अवसर पर राक्षसों, वृक्षों तथा पत्थरों को जलाती है। <ref>[[महाभारत]], [[आदि पर्व महाभारत|आदिपर्व]] अध्याय 177 से 180 तक</ref>  
 
+
{{menu}}
 
+
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 
+
==संबंधित लेख==
[[Category: पौराणिक कोश]]
+
{{ऋषि मुनि2}}{{ऋषि मुनि}}{{पौराणिक चरित्र}}
[[Category:ॠषि मुनि]]
+
[[Category:पौराणिक चरित्र]]
 +
[[Category:पौराणिक कोश]]
 +
[[Category:ऋषि मुनि]][[Category:संस्कृत साहित्यकार]]
 
[[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]]
 
[[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]]
 
<br />
 
==संबंधित लेख==
 
{{ॠषि-मुनि2}}
 
{{ॠषि-मुनि}}
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__

05:56, 20 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

Disamb2.jpg पराशर एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- पराशर (बहुविकल्पी)
  • मुनि शक्ति के पुत्र तथा वसिष्ठ के पौत्र का नाम पराशर था।
  • बड़े होने पर जब उसे पता चला कि उसके पिता को वन में राक्षसों ने खा लिया था तब वह क्रुद्ध होकर लोकों का नाश करने के लिए उद्यत हो उठा।
  • वसिष्ठ ने उसे शांत किया किंतु क्रोधाग्नि व्यर्थ नहीं जा सकती थी, अत: समस्त लोकों का पराभव न करके पराशर ने राक्षस सत्र का अनुष्ठान किया। सत्र में प्रज्वलित अग्नि में राक्षस नष्ट होने लगे।
  • कुछ निर्दोष राक्षसों को बचाने के लिए महर्षि पुलस्त्य आदि ने पराशर से जाकर कहा-'ब्राह्मणों को क्रोध शोभा नहीं देता। शक्ति का नाश भी उसके दिये शाप के फलस्वरूप ही हुआ। हिंसा ब्राह्मण का धर्म नहीं है।' समझा-बुझाकर उन्होंने पराशर का यज्ञ समाप्त करबा दिया तथा संचित अग्नि को उत्तर दिशा में हिमालय के आसपास वन में छोड़ दिया। वह आज भी वहां पर्व के अवसर पर राक्षसों, वृक्षों तथा पत्थरों को जलाती है। [1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, आदिपर्व अध्याय 177 से 180 तक

संबंधित लेख