"लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी -मीरां" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (चर्चा | योगदान) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "३" to "3") |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 35: | पंक्ति 35: | ||
लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी॥ध्रु०॥ | लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी॥ध्रु०॥ | ||
− | रामलक्ष्मण दोनों भीतर। बीचमें सीता | + | रामलक्ष्मण दोनों भीतर। बीचमें सीता प्यारी॥1॥ |
− | चलत चलत मोहे छाली पड गये। तुम जीते मैं | + | चलत चलत मोहे छाली पड गये। तुम जीते मैं हारी॥2॥ |
− | मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल | + | मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलिहारी॥3॥ |
10:10, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
|
|