राग मधुमाध सारंग या ब्रज में कछु देख्यो री टोना[1]॥ लै मटकी सिर चली गुजरिया[2], आगे मिले बाबा नंदजी के छोना[3]। दधिको नाम बिसरि गयो प्यारी, लेलेहु री कोउ स्याम सलोना[4]॥ बिंद्राबनकी कुंज गलिन में, आंख लगाय[5] गयो मनमोहना। मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सुंदर स्याम सुधर रसलौना[6]॥