राग धानी मोहि लागी लगन गुरुचरणन की। चरण बिना कछुवै नाहिं भावै, जगमाया सब सपननकी[1]॥ भौसागर सब सूख गयो[2] है, फिकर नाहिं मोहि तरननकी। मीरा के प्रभु गिरधर नागर आस वही गुरु सरननकी॥