राग खम्माच मीरा मगन भई हरि के गुण गाय॥ सांप पिटारा राणा भेज्या, मीरा हाथ दिया जाय। न्हाय धोय जब देखन लागी, सालिगराम गई पाय॥ जहरका प्याला राणा भेज्या, इम्रत[1] दिया बनाय। न्हाय धोय जब पीवन लागी, हो गई अमर अंचाय[2]॥ सूली सेज राणा ने भेजी, दीज्यो मीरा सुवाय। सांझ भई मीरा सोवण लागी, मानो फूल बिछाय॥ मीरा के प्रभु सदा सहाई, राखे बिघन हटाय। भजन भाव में मस्त डोलती, गिरधर पर बलि जाय[3]॥