राग सहाना मीरा को प्रभु साँची दासी बनाओ। झूठे धंधों से मेरा फंदा छुड़ाओ॥ लूटे ही लेत विवेक[1] का डेरा[2]। बुधि बल यदपि करूं बहुतेरा॥ हाय!हाय! नहिं कछु बस मेरा। मरत हूं बिबस प्रभु धाओ सवेरा[3]॥ धर्म उपदेश नितप्रति सुनती हूं। मन कुचाल से भी डरती हूं॥ सदा साधु-सेवा करती हूं। सुमिरण ध्यान में चित धरती हूं॥ भक्ति-मारग दासी को दिखलाओ। मीरा को प्रभु सांची दासी बनाओ॥