"मोहि लागी लगन गुरुचरणन की -मीरां": अवतरणों में अंतर

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भौसागर सब सूख गयो<ref>समाप्त हो गया</ref> है, फिकर नाहिं मोहि तरननकी।
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मीरा के प्रभु गिरधर नागर आस वही गुरू सरननकी॥  
मीरा के प्रभु गिरधर नागर आस वही गुरु सरननकी॥  
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मोहि लागी लगन गुरुचरणन की -मीरां
मीरांबाई
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

राग धानी

मोहि लागी लगन गुरुचरणन की।
चरण बिना कछुवै नाहिं भावै, जगमाया सब सपननकी[1]

भौसागर सब सूख गयो[2] है, फिकर नाहिं मोहि तरननकी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर आस वही गुरु सरननकी॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. स्वप्नों की, मिथ्या
  2. समाप्त हो गया

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