"जोसीड़ा ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम -मीरां": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ") |
||
पंक्ति 37: | पंक्ति 37: | ||
आज आनंद उमंगि भयो है जीव लहै सुखधाम। | आज आनंद उमंगि भयो है जीव लहै सुखधाम। | ||
पांच सखी<ref>पांच ज्ञानेन्द्रियों से आशय है</ref> मिलि पीव परसिकैं आनंद ठामूं ठाम॥ | पांच सखी<ref>पांच ज्ञानेन्द्रियों से आशय है</ref> मिलि पीव परसिकैं आनंद ठामूं ठाम॥ | ||
बिसरि गयो | बिसरि गयो दु:ख निरखि पियाकूं, सुफल मनोरथ काम। | ||
मीराके सुखसागर स्वामी भवन गवन कियो राम<ref>प्रियतम, स्वामी से आशय है</ref>॥ | मीराके सुखसागर स्वामी भवन गवन कियो राम<ref>प्रियतम, स्वामी से आशय है</ref>॥ | ||
</poem> | </poem> |
14:07, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
![]() |
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
|