"जोसीड़ा ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम -मीरां": अवतरणों में अंतर

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आज आनंद उमंगि भयो है जीव लहै सुखधाम।
आज आनंद उमंगि भयो है जीव लहै सुखधाम।
पांच सखी<ref>पांच ज्ञानेन्द्रियों से आशय है</ref> मिलि पीव परसिकैं आनंद ठामूं ठाम॥
पांच सखी<ref>पांच ज्ञानेन्द्रियों से आशय है</ref> मिलि पीव परसिकैं आनंद ठामूं ठाम॥
बिसरि गयो दुख निरखि पियाकूं, सुफल मनोरथ काम।
बिसरि गयो दु:ख निरखि पियाकूं, सुफल मनोरथ काम।
मीराके सुखसागर स्वामी भवन गवन कियो राम<ref>प्रियतम, स्वामी से आशय है</ref>॥
मीराके सुखसागर स्वामी भवन गवन कियो राम<ref>प्रियतम, स्वामी से आशय है</ref>॥
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14:07, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

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जोसीड़ा ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम -मीरां
मीरांबाई
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

राग सोरठ

जोसीड़ा[1] ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम॥
आज आनंद उमंगि भयो है जीव लहै सुखधाम।
पांच सखी[2] मिलि पीव परसिकैं आनंद ठामूं ठाम॥
बिसरि गयो दु:ख निरखि पियाकूं, सुफल मनोरथ काम।
मीराके सुखसागर स्वामी भवन गवन कियो राम[3]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ज्योतिषी
  2. पांच ज्ञानेन्द्रियों से आशय है
  3. प्रियतम, स्वामी से आशय है

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