लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी -मीरां

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:57, 9 सितम्बर 2011 का अवतरण ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी -मीरां
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ



लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी॥ध्रु०॥
रामलक्ष्मण दोनों भीतर। बीचमें सीता प्यारी॥१॥
चलत चलत मोहे छाली पड गये। तुम जीते मैं हारी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलिहारी॥३॥

संबंधित लेख