"राम बिन निंद न आवे -मीरां": अवतरणों में अंतर

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कबु घर आवे घर आवे॥1॥
कबु घर आवे घर आवे॥1॥
दादर मोर पपीया बोले कोयल सबद सुनावे।
दादर मोर पपीया बोले कोयल सबद सुनावे।
गुमट घटा ओल रहगई दमक चमक दुरावे। नैन भर आवें॥२॥
गुमट घटा ओल रहगई दमक चमक दुरावे। नैन भर आवें॥2॥
काहां करूं कितना उसखेरू बदन कोई न बनवे।
काहां करूं कितना उसखेरू बदन कोई न बनवे।
बिरह नाग मेरि काया डसी हो। लहर लहर जीव जावे जडी घस लावे॥३॥
बिरह नाग मेरि काया डसी हो। लहर लहर जीव जावे जडी घस लावे॥3॥
कहोरी सखी सहली सजनी पियाजीनें आने मिलावे।
कहोरी सखी सहली सजनी पियाजीनें आने मिलावे।
मीराके प्रभु कबरी मिलेगे मोहनमो मन भावे। कबहूं हस हस बतलावे॥४॥
मीराके प्रभु कबरी मिलेगे मोहनमो मन भावे। कबहूं हस हस बतलावे॥4॥


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10:45, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

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राम बिन निंद न आवे -मीरां
मीरांबाई
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

राम बिन निंद न आवे। बिरह सतावे प्रेमकी आच ठुरावे॥ध्रु०॥
पियाकी जोतबिन मो दर आंधारो दीपक कदायन आवे।
पियाजीबिना मो सेज न आलुनी जाननरे ए बिहावे।
कबु घर आवे घर आवे॥1॥
दादर मोर पपीया बोले कोयल सबद सुनावे।
गुमट घटा ओल रहगई दमक चमक दुरावे। नैन भर आवें॥2॥
काहां करूं कितना उसखेरू बदन कोई न बनवे।
बिरह नाग मेरि काया डसी हो। लहर लहर जीव जावे जडी घस लावे॥3॥
कहोरी सखी सहली सजनी पियाजीनें आने मिलावे।
मीराके प्रभु कबरी मिलेगे मोहनमो मन भावे। कबहूं हस हस बतलावे॥4॥

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