"प्रभु कब रे मिलोगे -मीरां": अवतरणों में अंतर

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दिन तो खाय गमायो री, रैन गमाई सोय।
दिन तो खाय गमायो री, रैन गमाई सोय।
प्राण गंवाया झूरता रे, नैन गंवाया दोनु रोय।।2।।
प्राण गंवाया झूरता रे, नैन गंवाया दोनु रोय।।2।।
जो मैं ऐसा जानती रे, प्रीत कियाँ दुख होय।
जो मैं ऐसा जानती रे, प्रीत कियाँ दु:ख होय।
नगर ढुंढेरौ पीटती रे, प्रीत न करियो कोय।।3।।
नगर ढुंढेरौ पीटती रे, प्रीत न करियो कोय।।3।।
पन्थ निहारूँ डगर भुवारूँ, ऊभी मारग जोय।
पन्थ निहारूँ डगर भुवारूँ, ऊभी मारग जोय।
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे, तुम मिलयां सुख होय।।४।।
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे, तुम मिलयां सुख होय।।4।।
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14:10, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

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प्रभु कब रे मिलोगे -मीरां
मीरांबाई
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

प्रभु जी तुम दर्शन बिन मोय घड़ी चैन नहीं आवड़े।।टेक।।

अन्न नहीं भावे नींद न आवे विरह सतावे मोय।
घायल ज्यूं घूमूं खड़ी रे म्हारो दर्द न जाने कोय।।1।।
दिन तो खाय गमायो री, रैन गमाई सोय।
प्राण गंवाया झूरता रे, नैन गंवाया दोनु रोय।।2।।
जो मैं ऐसा जानती रे, प्रीत कियाँ दु:ख होय।
नगर ढुंढेरौ पीटती रे, प्रीत न करियो कोय।।3।।
पन्थ निहारूँ डगर भुवारूँ, ऊभी मारग जोय।
मीरा के प्रभु कब रे मिलोगे, तुम मिलयां सुख होय।।4।।

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