प्रीति चौधरी (वार्ता | योगदान) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "४" to "4") |
||
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 34: | पंक्ति 34: | ||
हरिनाम बिना नर ऐसा है। दीपकबीन मंदिर जैसा है॥ध्रु०॥ | हरिनाम बिना नर ऐसा है। दीपकबीन मंदिर जैसा है॥ध्रु०॥ | ||
जैसे बिना पुरुखकी नारी है। जैसे पुत्रबिना मातारी है। | जैसे बिना पुरुखकी नारी है। जैसे पुत्रबिना मातारी है। | ||
जलबिन सरोबर जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा | जलबिन सरोबर जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥1॥ | ||
जैसे सशीविन रजनी सोई है। जैसे बिना लौकनी रसोई है। | जैसे सशीविन रजनी सोई है। जैसे बिना लौकनी रसोई है। | ||
घरधनी बिन घर जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा | घरधनी बिन घर जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥2॥ | ||
ठुठर बिन वृक्ष बनाया है। जैसा सुम संचरी नाया है। | ठुठर बिन वृक्ष बनाया है। जैसा सुम संचरी नाया है। | ||
गिनका घर पूतेर जैसा है। हरिनम बिना नर ऐसा | गिनका घर पूतेर जैसा है। हरिनम बिना नर ऐसा है॥3॥ | ||
मीराबाई कहे हरिसे मिलना। जहां जन्ममरणकी | मीराबाई कहे हरिसे मिलना। जहां जन्ममरणकी नहीं कलना। | ||
बिन गुरुका चेला जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा | बिन गुरुका चेला जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥4॥ | ||
</poem> | </poem> |
10:45, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
|
हरिनाम बिना नर ऐसा है। दीपकबीन मंदिर जैसा है॥ध्रु०॥ |