"आज मारे साधुजननो संगरे राणा -मीरां": अवतरणों में अंतर

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सीकुटीजननो संग न करीये पियाजी पाडे भजनमां भंगरे॥2॥
सीकुटीजननो संग न करीये पियाजी पाडे भजनमां भंगरे॥2॥
अडसट तीर्थ संतोनें चरणें पियाजी कोटी काशी ने कोटी गंगरे॥3॥
अडसट तीर्थ संतोनें चरणें पियाजी कोटी काशी ने कोटी गंगरे॥3॥
निंदा करसे ते तो नर्क कुंडमां जासे पियाजी थशे आंधळा अपंगरे॥4॥
निंदा करसे ते तोनरककुंडमां जासे पियाजी थशे आंधळा अपंगरे॥4॥
मीरा कहे गिरिधरना गुन गावे पियाजी संतोनी रजमां शीर संगरे॥5॥
मीरा कहे गिरिधरना गुन गावे पियाजी संतोनी रजमां शीर संगरे॥5॥
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10:53, 11 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

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आज मारे साधुजननो संगरे राणा -मीरां
मीरांबाई
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

आज मारे साधुजननो संगरे राणा। मारा भाग्ये मळ्यो॥ध्रु.॥
साधुजननो संग जो करीये पियाजी चडे चोगणो रंग रे॥1॥
सीकुटीजननो संग न करीये पियाजी पाडे भजनमां भंगरे॥2॥
अडसट तीर्थ संतोनें चरणें पियाजी कोटी काशी ने कोटी गंगरे॥3॥
निंदा करसे ते तोनरककुंडमां जासे पियाजी थशे आंधळा अपंगरे॥4॥
मीरा कहे गिरिधरना गुन गावे पियाजी संतोनी रजमां शीर संगरे॥5॥

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