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हरिनाम बिना नर ऐसा है। दीपकबीन मंदिर जैसा है॥ध्रु०॥
हरिनाम बिना नर ऐसा है। दीपकबीन मंदिर जैसा है॥ध्रु०॥
जैसे बिना पुरुखकी नारी है। जैसे पुत्रबिना मातारी है।
जैसे बिना पुरुखकी नारी है। जैसे पुत्रबिना मातारी है।
जलबिन सरोबर जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥१॥
जलबिन सरोबर जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥1॥
जैसे सशीविन रजनी सोई है। जैसे बिना लौकनी रसोई है।
जैसे सशीविन रजनी सोई है। जैसे बिना लौकनी रसोई है।
घरधनी बिन घर जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥२॥
घरधनी बिन घर जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥२॥

09:49, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण

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हरिनाम बिना नर ऐसा है -मीरां
मीरांबाई
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

हरिनाम बिना नर ऐसा है। दीपकबीन मंदिर जैसा है॥ध्रु०॥
जैसे बिना पुरुखकी नारी है। जैसे पुत्रबिना मातारी है।
जलबिन सरोबर जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥1॥
जैसे सशीविन रजनी सोई है। जैसे बिना लौकनी रसोई है।
घरधनी बिन घर जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥२॥
ठुठर बिन वृक्ष बनाया है। जैसा सुम संचरी नाया है।
गिनका घर पूतेर जैसा है। हरिनम बिना नर ऐसा है॥३॥
मीराबाई कहे हरिसे मिलना। जहां जन्ममरणकी नहीं कलना।
बिन गुरुका चेला जैसा है। हरिनामबिना नर ऐसा है॥४॥

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