"लेता लेता श्रीरामजीनुं नाम -मीरां": अवतरणों में अंतर

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लेता लेता श्रीरामजीनुं नाम। लोकडिवा तो लाजे मरे छे॥ध्रु०॥
लेता लेता श्रीरामजीनुं नाम। लोकडिवा तो लाजे मरे छे॥ध्रु०॥
हरी मंदिर जाता पाव लिया दुखे। फरा आवे सारूं गाम॥1॥
हरी मंदिर जाता पाव लिया दुखे। फरा आवे सारूं गाम॥1॥
झगडो थाय त्यां दोडीनें जाया। मुक्तीनें बरना काम॥२॥
झगडो थाय त्यां दोडीनें जाया। मुक्तीनें बरना काम॥2॥
भांड भवैया गुणका नृत्य करता। बेशी रहे चारे ठाम॥३॥
भांड भवैया गुणका नृत्य करता। बेशी रहे चारे ठाम॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर गुण गाऊं। चरणकमल चित्त काम॥४॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर गुण गाऊं। चरणकमल चित्त काम॥४॥

10:03, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण

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लेता लेता श्रीरामजीनुं नाम -मीरां
मीरांबाई
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

लेता लेता श्रीरामजीनुं नाम। लोकडिवा तो लाजे मरे छे॥ध्रु०॥
हरी मंदिर जाता पाव लिया दुखे। फरा आवे सारूं गाम॥1॥
झगडो थाय त्यां दोडीनें जाया। मुक्तीनें बरना काम॥2॥
भांड भवैया गुणका नृत्य करता। बेशी रहे चारे ठाम॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर गुण गाऊं। चरणकमल चित्त काम॥४॥


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