"जमुनामों कैशी जाऊं मोरे सैया -मीरां": अवतरणों में अंतर

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हातमों मोरे चूडा भरा है। कंगण लेहेरा देत मोरे सैया॥2॥
हातमों मोरे चूडा भरा है। कंगण लेहेरा देत मोरे सैया॥2॥
दधी मेरा खाया मटकी फोरी। अब कैशी बुरी बात बोलु मोरे सैया॥3॥
दधी मेरा खाया मटकी फोरी। अब कैशी बुरी बात बोलु मोरे सैया॥3॥
शिरपर घडा घडेपर झारी। पतली कमर लचकया सैया॥४॥
शिरपर घडा घडेपर झारी। पतली कमर लचकया सैया॥4॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलजाऊ मोरे सैया॥५॥  
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलजाऊ मोरे सैया॥५॥  



10:44, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण

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जमुनामों कैशी जाऊं मोरे सैया -मीरां
मीरांबाई
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

जमुनामों कैशी जाऊं मोरे सैया। बीच खडा तोरो लाल कन्हैया॥ध्रु०॥
ब्रिदाबनके मथुरा नगरी पाणी भरणा। कैशी जाऊं मोरे सैंया॥1॥
हातमों मोरे चूडा भरा है। कंगण लेहेरा देत मोरे सैया॥2॥
दधी मेरा खाया मटकी फोरी। अब कैशी बुरी बात बोलु मोरे सैया॥3॥
शिरपर घडा घडेपर झारी। पतली कमर लचकया सैया॥4॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलजाऊ मोरे सैया॥५॥

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