"आई ती ते भिस्ती जनी जगत देखके रोई -मीरां": अवतरणों में अंतर

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आई ती ते भिस्ती जनी जगत देखके रोई।
आई ती ते भिस्ती जनी जगत् देखके रोई।
मातापिता भाईबंद सात नहीं कोई।
मातापिता भाईबंद सात नहीं कोई।
मेरो मन रामनाम दुजा नहीं कोई॥ध्रु.॥
मेरो मन रामनाम दुजा नहीं कोई॥ध्रु.॥

13:48, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

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आई ती ते भिस्ती जनी जगत देखके रोई -मीरां
मीरांबाई
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

आई ती ते भिस्ती जनी जगत् देखके रोई।
मातापिता भाईबंद सात नहीं कोई।
मेरो मन रामनाम दुजा नहीं कोई॥ध्रु.॥
साधु संग बैठे लोक लाज खोई। अब तो बात फैल गई।
जानत है सब कोई॥1॥
आवचन जल छीक छीक प्रेम बोल भई। अब तो मै फल भई।
आमरूत फल भई॥2॥
शंख चक्र गदा पद्म गला। बैजयंती माल सोई।
मीरा कहे नीर लागो होनियोसी हो भई॥3॥

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