मैं बिरहणि बैठी जागूं जगत सब सोवे री आली -मीरां

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
ऋचा (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:24, 7 सितम्बर 2011 का अवतरण ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
मैं बिरहणि बैठी जागूं जगत सब सोवे री आली -मीरां
मीरांबाई
मीरांबाई
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

राग बागेश्री


मैं बिरहणि[1] बैठी जागूं जगत सब सोवे री आली॥

बिरहणी बैठी रंगमहल में, मोतियन की लड़ पोवै[2]|
इक बिहरणि हम ऐसी देखी, अंसुवन की माला पोवै॥

तारा गिण गिण रैण[3] बिहानी[4], सुख की घड़ी कब आवै।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, जब मोहि दरस दिखावै॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विरहनी
  2. गूंथती है
  3. रात
  4. बीत गयी

संबंधित लेख