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महाभारत में श्रीकृष्ण और दुर्योधन एक-दूसरे के शत्रु थे, लेकिन फिर भी श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र का विवाह दुर्योधन की बेटी से करा दिया था। दुर्योधन भगवान श्रीकृष्ण को पसंद नहीं करता था। [[पांडव|पांडवों]] का हितैषी होने के कारण वह श्रीकृष्ण को परमशत्रु मानता था। भगवान भी दुर्योधन को धर्म और शांति के मार्ग में सबसे बड़ा अवरोध समझते थे, पूरी तरह से उसके खिलाफ भी थे। इसके बावजूद श्रीकृष्ण का पुत्र साम्ब और दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा, एक-दूसरे से प्रेम करते थे। दुर्योधन इस रिश्ते के खिलाफ था, इसलिए उसने लक्ष्मणा का स्वयंवर रखा, लेकिन उसमें यादवों को न्योता नहीं भेजा। साम्ब को इसके बारे में पता चला तो वह भरे स्वयंवर में से [[लक्ष्मणा]] का अपहरण करके ले गया।
 
महाभारत में श्रीकृष्ण और दुर्योधन एक-दूसरे के शत्रु थे, लेकिन फिर भी श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र का विवाह दुर्योधन की बेटी से करा दिया था। दुर्योधन भगवान श्रीकृष्ण को पसंद नहीं करता था। [[पांडव|पांडवों]] का हितैषी होने के कारण वह श्रीकृष्ण को परमशत्रु मानता था। भगवान भी दुर्योधन को धर्म और शांति के मार्ग में सबसे बड़ा अवरोध समझते थे, पूरी तरह से उसके खिलाफ भी थे। इसके बावजूद श्रीकृष्ण का पुत्र साम्ब और दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा, एक-दूसरे से प्रेम करते थे। दुर्योधन इस रिश्ते के खिलाफ था, इसलिए उसने लक्ष्मणा का स्वयंवर रखा, लेकिन उसमें यादवों को न्योता नहीं भेजा। साम्ब को इसके बारे में पता चला तो वह भरे स्वयंवर में से [[लक्ष्मणा]] का अपहरण करके ले गया।
  

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Disamb2.jpg लक्ष्मणा एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- लक्ष्मणा (बहुविकल्पी)

लक्ष्मणा हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत के अनुसार दुर्योधन की पुत्री थी। भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब से इनका विवाह हुआ था। महाभारत में श्रीकृष्ण और दुर्योधन एक-दूसरे के शत्रु थे, लेकिन फिर भी श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र का विवाह दुर्योधन की बेटी से करा दिया था। दुर्योधन भगवान श्रीकृष्ण को पसंद नहीं करता था। पांडवों का हितैषी होने के कारण वह श्रीकृष्ण को परमशत्रु मानता था। भगवान भी दुर्योधन को धर्म और शांति के मार्ग में सबसे बड़ा अवरोध समझते थे, पूरी तरह से उसके खिलाफ भी थे। इसके बावजूद श्रीकृष्ण का पुत्र साम्ब और दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा, एक-दूसरे से प्रेम करते थे। दुर्योधन इस रिश्ते के खिलाफ था, इसलिए उसने लक्ष्मणा का स्वयंवर रखा, लेकिन उसमें यादवों को न्योता नहीं भेजा। साम्ब को इसके बारे में पता चला तो वह भरे स्वयंवर में से लक्ष्मणा का अपहरण करके ले गया।

दुर्योधन ने सेना के साथ उसका पीछा किया और उन्हें बंदी बना लिया। बलराम उन्हें छुड़वाने और दुर्योधन को मनाने भी आए, लेकिन वह नहीं माना। तब श्रीकृष्ण आए और उन्होंने दुर्योधन और अन्य कौरवों को समझाया कि हमारी आपसी मतभिन्नता अलग है और बच्चों का प्रेम अलग। अगर ये साथ रहना चाहते हैं तो हमें आपसी दुश्मनी को भुला कर इनके प्रेम का सम्मान करना चाहिए। हमारी दुश्मनी का इनके प्रेम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। दुर्योधन और मैं, भले ही हम एक-दूसरे को पसंद नहीं करते हैं, लेकिन हमें बच्चों के प्रेम का सम्मान करना चाहिए। इस प्रकार समझाने के बाद कौरवों ने साम्ब और लक्ष्मणा का विवाह करवा दिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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