आसन डिगना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- गद्दी, पद आदि से हटने या हटाए जाने की स्थिति उत्पन्न होना ।
प्रयोग-
- दल-बदलओं के इस युग में किसी का आसन डोलते क्या देर लगती है। - (दिनमान)
- मगर, यहाँ मदन-दहन हो गया किसी देवता का आसन नहीं डोला। - (राजा राधिका रमण प्रसाद सिहं)