गरदन पर छुरी चलाना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- अपने स्वार्थ के लिए दूसरे का बहुत बड़ा अहित करना, जीविका छीन लेना।
प्रयोग- इतनी उमर गुज़र गई, इतने पढ़े- लिखे आदमियों को देखा, पर आपके सिवा कोई ऐसा न मिला जिसने हमारी गरदन पर छुरी न चलाई हो। -- प्रेमचंद