उफ तक नहीं करना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है ।
अर्थ -कष्ट या व्यथा नाम मात्र को भी प्रकट न करना।
प्रयोग -
- आदमी तो वही है जो दिक्कतों के बावजूद मुँह से उफ तक न करे।-( श्रवणकुमार)
- उसे फटे-पुराने कपड़े भी पहनने पड़ते है कभी रात को भूखा भी सोना पड़ता है पर उसने कभी उफ न की।- (भषण वनमाली)