बंदर बाँट एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- बाँटने का वह ढंग या रीति जिसमें मध्यस्थ ही सब-कुछ खा जाता हो और संबद्ध व्यक्तियों के पल्ले कुछ न पड़ता हो।
बंदर बाँट एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- बाँटने का वह ढंग या रीति जिसमें मध्यस्थ ही सब-कुछ खा जाता हो और संबद्ध व्यक्तियों के पल्ले कुछ न पड़ता हो।