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12:06, 20 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

कालिख पोतना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- कलंकित करना।

प्रयोग- अब मेरी जान बख्शो मालती, क्यों मेरे मुँह पर कालिख पोत रही है। (प्रेमचंद)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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