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'''अर्थ'''- किसी के दबाब या वश में होना।
'''अर्थ'''- किसी के दबाव या वश में होना।


'''प्रयोग'''- जिससे चार आँखें हुई उसने ज़मीन चूमकर सलाम किया अच्छे अच्छे बाँकों की कोर दबने लगी। (प्रेमचंद)
'''प्रयोग'''- जिससे चार आँखें हुईं उसने ज़मीन चूमकर सलाम किया, अच्छे अच्छे बाँकों की कोर दबने लगी। ([[प्रेमचंद]])




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12:36, 21 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

कोर दबना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- किसी के दबाव या वश में होना।

प्रयोग- जिससे चार आँखें हुईं उसने ज़मीन चूमकर सलाम किया, अच्छे अच्छे बाँकों की कोर दबने लगी। (प्रेमचंद)


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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