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!कहावत लोकोक्ति मुहावरे
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!अर्थ
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| 1- पंच कहे बिल्ली  तो बिल्ली‍ ही सही।
1- पंच कहे बिल्ली  तो बिल्ली‍ ही सही।
| अर्थ - सर्वसम्मति से जो काम हो जाए, वही ठीक।
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अर्थ - सर्वसम्मति से जो काम हो जाए, वही ठीक।
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|2- पंचों का कहना सिर माथे, पर परनाला वहीं रहेगा।
|2- पंचों का कहना सिर माथे, पर परनाला वहीं रहेगा।
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|अर्थ - दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना।
अर्थ - दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना।
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|3- पकाई खीर पर हो गया दलिया।  
|3- पकाई खीर पर हो गया दलिया।  
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|अर्थ - दुर्भाग्य।  
अर्थ - दुर्भाग्य।  
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|4- पगड़ी रख,घी चख।
|4- पगड़ी रख,घी चख।
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|अर्थ -  मान–सम्मान से ही जीवन का आनंद है।
अर्थ -  मान–सम्मान से ही जीवन का आनंद है।
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|5- पढ़े तो हैं गुने नहीं।  
|5- पढ़े तो हैं गुने नहीं।  
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|अर्थ - पढ़- लिखकर भी अनुभवहीन।
अर्थ - पढ़- लिखकर भी अनुभवहीन।
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|6- पढ़े फारसी बेचे तेल,यह देखो करमों का खेल।
|6- पढ़े फारसी बेचे तेल,यह देखो करमों का खेल।
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|अर्थ - गुणवान होने पर भी दुर्भाग्य से छोटा काम मिला है।
अर्थ - गुणवान होने पर भी दुर्भाग्य से छोटा काम मिला है।
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|7- पत्थर को जोंक नहीं लगती।
|7- पत्थर को जोंक नहीं लगती।
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|अर्थ - निर्मम आदमी पर कोई असर नहीं पड़ता।
अर्थ - निर्मम आदमी पर कोई असर नहीं पड़ता।
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|8- पत्थर मोम नहीं होता।
|8- पत्थर मोम नहीं होता।
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|अर्थ - निर्मम आदमी में दया नहीं होती।
अर्थ - निर्मम आदमी में दया नहीं होती।
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|9- पराया धर थूकने का भी डर।
|9- पराया धर थूकने का भी डर।
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|अर्थ - दूसरे के घर में संकोच रहता है।
अर्थ - दूसरे के घर में संकोच रहता है।
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|10- पराये धन पर लक्ष्मी नारायण।
|10- पराये धन पर लक्ष्मी नारायण।
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|अर्थ - दूसरे के धन पर गुलछर्रे उड़ाना।
अर्थ - दूसरे के धन पर गुलछर्रे उड़ाना।
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|11- पहले तोलो, पीछे बोलो।
|11- पहले तोलो, पीछे बोलो।
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|अर्थ - बात समझ-सोचकर करनी चाहिए।
अर्थ - बात समझ-सोचकर करनी चाहिए।
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|12- पाँच पंच मिल कीजे काजा,<br />
|12- पाँच पंच मिल कीजे काजा, हारे-जीते कुछ नहीं लाजा।
हारे-जीते कुछ नहीं लाजा।
|अर्थ - मिलकर काम करने पर हार-जीत की ज़िम्मेदारी एक पर नहीं आती।
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अर्थ - मिलकर काम करने पर हार-जीत की ज़िम्मेदारी एक पर नहीं आती।
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|13- पाँचों उँगलियाँ घी में।
|13- पाँचों उँगलियाँ घी में।
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|अर्थ - सब लाभ ही लाभ।
अर्थ - सब लाभ ही लाभ।
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|14- पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं।
|14- पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं।
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|अर्थ - सब आदमी एक जैसे नहीं होते।
अर्थ - सब आदमी एक जैसे नहीं होते।
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|15- पाँचों सवारों में मिलना।
|15- पाँचों सवारों में मिलना।
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|अर्थ - अपने को बड़े व्यक्तियों में गिनना।
अर्थ - अपने को बड़े व्यक्तियों में गिनना।
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|16- पागलों के क्या सींग होते हैं।
|16- पागलों के क्या सींग होते हैं।
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|अर्थ - पागल भी साधारण लोगों में होते हैं।
अर्थ - पागल भी साधारण लोगों में होते हैं।
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|17- पानी पीकर जात पूछते हो।
|17- पानी पीकर जात पूछते हो।
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|अर्थ - काम करने के बाद उसके अच्छे - बुरे पहलुओं पर विचार क्यों ?
अर्थ - काम करने के बाद उसके अच्छे - बुरे पहलुओं पर विचार क्यों ?
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|18- पाप का घड़ा भरकर डूबता है।
|18- पाप का घड़ा भरकर डूबता है।
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|अर्थ - पाप जब बढ़ जाता है तब विनाश होता है।
अर्थ - पाप जब बढ़ जाता है तब विनाश होता है।
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|19- पिया गए परदेश, अब डर काहे का।
|19- पिया गए परदेश, अब डर काहे का।
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|अर्थ - जब कोई निगरानी करने वाला न हो, तो मौज उड़ाना।
अर्थ - जब कोई निगरानी करने वाला न हो, तो मौज उड़ाना।
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|20- पीर बावर्ची भिस्ती खर।
|20- पीर बावर्ची भिस्ती खर।
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|अर्थ - सब तरह का काम एक को करना पड़ता है।
अर्थ - सब तरह का काम एक को करना पड़ता है।
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|21- पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते हैं।
|21- [[पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते हैं]]।
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|अर्थ - भविष्य  क्या होगा, उसे वर्तमान के लक्षणों से जाना जा सकता है।
अर्थ - भविष्य  क्या होगा, उसे वर्तमान के लक्षणों से जाना जा सकता है।
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|22- पूत सपूत तो काहे धन संचै,<br />
|22- पूत सपूत तो काहे धन संचै, पूत कपूत तो काहे धन संचै।
पूत कपूत तो काहे धन संचै।
|अर्थ - धन का संचय अच्छा, नहीं।
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अर्थ - धन का संचय अच्छा, नहीं।
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|23- पूरब जाओ या पच्छिम, वही करम के लच्छन।
|23- पूरब जाओ या पच्छिम, वही करम के लच्छन।
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|अर्थ - भाग्य और स्वभाव सब स्थान साथ  रहता है।
अर्थ - भाग्य और स्वभाव सब स्थान साथ  रहता है।
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|24- पेड़ फल से जाना जाता है।
|24- पेड़ फल से जाना जाता है।
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|अर्थ - कर्म का महत्त्व उसके परिणाम से होता है।
अर्थ - कर्म का महत्त्व उसके परिणाम से होता है।
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|25- पैसा गाँठ का, ज़ोरू साथ की।
|25- पैसा गाँठ का, ज़ोरू साथ की।
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|अर्थ - अपने पास पैसा और पत्नी हो तो जीवन सुखी रहता है।
अर्थ - अपने पास पैसा और पत्नी हो तो जीवन सुखी रहता है।
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|26- प्यासा कुएँ के पास जाता है।
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अर्थ - जिसे गरज़ होती है वही दूसरों के पास जाता है।।
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|26- [[प्यासा कुएँ के पास जाता है]]।
|अर्थ - जिसे गरज़ होती है वही दूसरों के पास जाता है।।
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[[Category:कहावत_लोकोक्ति_मुहावरे]]
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12:10, 20 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

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कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ
1- पंच कहे बिल्ली तो बिल्ली‍ ही सही। अर्थ - सर्वसम्मति से जो काम हो जाए, वही ठीक।
2- पंचों का कहना सिर माथे, पर परनाला वहीं रहेगा। अर्थ - दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना।
3- पकाई खीर पर हो गया दलिया। अर्थ - दुर्भाग्य।
4- पगड़ी रख,घी चख। अर्थ - मान–सम्मान से ही जीवन का आनंद है।
5- पढ़े तो हैं गुने नहीं। अर्थ - पढ़- लिखकर भी अनुभवहीन।
6- पढ़े फारसी बेचे तेल,यह देखो करमों का खेल। अर्थ - गुणवान होने पर भी दुर्भाग्य से छोटा काम मिला है।
7- पत्थर को जोंक नहीं लगती। अर्थ - निर्मम आदमी पर कोई असर नहीं पड़ता।
8- पत्थर मोम नहीं होता। अर्थ - निर्मम आदमी में दया नहीं होती।
9- पराया धर थूकने का भी डर। अर्थ - दूसरे के घर में संकोच रहता है।
10- पराये धन पर लक्ष्मी नारायण। अर्थ - दूसरे के धन पर गुलछर्रे उड़ाना।
11- पहले तोलो, पीछे बोलो। अर्थ - बात समझ-सोचकर करनी चाहिए।
12- पाँच पंच मिल कीजे काजा, हारे-जीते कुछ नहीं लाजा। अर्थ - मिलकर काम करने पर हार-जीत की ज़िम्मेदारी एक पर नहीं आती।
13- पाँचों उँगलियाँ घी में। अर्थ - सब लाभ ही लाभ।
14- पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होतीं। अर्थ - सब आदमी एक जैसे नहीं होते।
15- पाँचों सवारों में मिलना। अर्थ - अपने को बड़े व्यक्तियों में गिनना।
16- पागलों के क्या सींग होते हैं। अर्थ - पागल भी साधारण लोगों में होते हैं।
17- पानी पीकर जात पूछते हो। अर्थ - काम करने के बाद उसके अच्छे - बुरे पहलुओं पर विचार क्यों ?
18- पाप का घड़ा भरकर डूबता है। अर्थ - पाप जब बढ़ जाता है तब विनाश होता है।
19- पिया गए परदेश, अब डर काहे का। अर्थ - जब कोई निगरानी करने वाला न हो, तो मौज उड़ाना।
20- पीर बावर्ची भिस्ती खर। अर्थ - सब तरह का काम एक को करना पड़ता है।
21- पूत के पाँव पालने में पहचाने जाते हैं अर्थ - भविष्य क्या होगा, उसे वर्तमान के लक्षणों से जाना जा सकता है।
22- पूत सपूत तो काहे धन संचै, पूत कपूत तो काहे धन संचै। अर्थ - धन का संचय अच्छा, नहीं।
23- पूरब जाओ या पच्छिम, वही करम के लच्छन। अर्थ - भाग्य और स्वभाव सब स्थान साथ रहता है।
24- पेड़ फल से जाना जाता है। अर्थ - कर्म का महत्त्व उसके परिणाम से होता है।
25- पैसा गाँठ का, ज़ोरू साथ की। अर्थ - अपने पास पैसा और पत्नी हो तो जीवन सुखी रहता है।
26- प्यासा कुएँ के पास जाता है अर्थ - जिसे गरज़ होती है वही दूसरों के पास जाता है।।