"कहावत लोकोक्ति मुहावरे-ओ": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "जोखिम" to "जोख़िम")
छो (Text replacement - "{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}" to "{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे2}}")
 
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}
{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे2}}
 
{| class="bharattable-pink"
{| class="wikitable"
|-
|-
!कहावत लोकोक्ति मुहावरे
! style="width:30%"|कहावत लोकोक्ति मुहावरे
!अर्थ
! style="width:70%"|अर्थ
|-
|-
| style="width:30%"|
| 1- ओछे की प्रीत,बालू की भीत।
1- ओछे की प्रीत,बालू की भीत।
| अर्थ - बालू की दीवार मज़बूत नहीं होती, वह कभी भी गिर सकती है, ऐसे ही किसी भी रूप में गिरे हुए आदमी की दोस्ती भी बहुत अधिक दिनों तक नहीं चलती।
| style="width:70%"|
अर्थ - बालू की दीवार मजबूत नहीं होती, वह कभी भी गिर सकती है, ऐसे ही किसी भी रूप में गिरे हुए आदमी की दोस्ती भी बहुत अधिक दिनों तक नहीं चलती।
|-
|-
|2- ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर।
|2- ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर।
|
| अर्थ - यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए।
अर्थ - यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए।
|-
|-
|3- ओस चाटे प्यास नहीं बुझती।  
|3- ओस चाटे प्यास नहीं बुझती।  
|
| अर्थ - बहुत थोड़ी सी वस्तु‍ से आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती है।
अर्थ - बहुत थोड़ी सी वस्तु‍ से आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती है।
|-
|-
|4- ओखली में सिर देना।
|4- ओखली में सिर देना।
|
| अर्थ - जोखिम मोल लेना।
अर्थ - जोख़िम मोल लेना।
|-
|-
|5- ओढ़नी बदलना।  
|5- ओढ़नी बदलना।  
|
| अर्थ - पक्की  सहेलियाँ बनाना।
अर्थ - पक्की  सहेलियाँ बनाना।
|-
|}
|}



12:13, 20 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र
कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ
1- ओछे की प्रीत,बालू की भीत। अर्थ - बालू की दीवार मज़बूत नहीं होती, वह कभी भी गिर सकती है, ऐसे ही किसी भी रूप में गिरे हुए आदमी की दोस्ती भी बहुत अधिक दिनों तक नहीं चलती।
2- ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर। अर्थ - यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए।
3- ओस चाटे प्यास नहीं बुझती। अर्थ - बहुत थोड़ी सी वस्तु‍ से आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती है।
4- ओखली में सिर देना। अर्थ - जोखिम मोल लेना।
5- ओढ़नी बदलना। अर्थ - पक्की सहेलियाँ बनाना।