"ज़बान चूक जाना": अवतरणों में अंतर

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'''अर्थ'''- मुँह से कुछ का कुछ निकल जाना।
'''अर्थ'''- मुँह से कुछ का कुछ निकल जाना।


'''प्रयोग'''- राहुल जब भी कुछ बोलता है, उसके मुँह से कुछ का कुछ निकल जाता है।
'''प्रयोग'''- दीपक ने सुरेश से कहा- "अरे यार रहने दो, तुम सेठ जी के सामने जाते ही '''ज़बान चूक जाते''' हो।


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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12:36, 21 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

ज़बान चूक जाना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- मुँह से कुछ का कुछ निकल जाना।

प्रयोग- दीपक ने सुरेश से कहा- "अरे यार रहने दो, तुम सेठ जी के सामने जाते ही ज़बान चूक जाते हो।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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