"दाँत पीसना": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''दाँत पीसना''' एक प्रचलित कहावत लोकोक्ति मुहावरे|ल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
छो (Text replacement - "==संबंधित लेख== {{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}" to "==संबंधित लेख== {{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}{{कहावत लो�)
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
'''प्रयोग'''-   
'''प्रयोग'''-   
#जो ज़माने से पिस रहे थे वे दाँत पीसकर समाने आए। - राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह।  
#जो ज़माने से पिस रहे थे वे दाँत पीसकर समाने आए। - राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह।  
#आवेश में तो न जाने क्या सोच लेता है आदमी। मगर साधनहीन होने के बाद खाली दाँत पीसकर रह जाता है। -अजित पुष्कल।
#आवेश में तो न जाने क्या सोच लेता है आदमी। मगर साधनहीन होने के बाद ख़ाली दाँत पीसकर रह जाता है। -अजित पुष्कल।




पंक्ति 12: पंक्ति 12:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}
{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे}}{{कहावत लोकोक्ति मुहावरे2}}
[[Category:हिन्दी मुहावरे एवं लोकोक्ति कोश]]
[[Category:हिन्दी मुहावरे एवं लोकोक्ति कोश]]
[[Category:कहावत लोकोक्ति मुहावरे]]
[[Category:कहावत लोकोक्ति मुहावरे]]
[[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:साहित्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

12:40, 21 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

दाँत पीसना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- क्रोध से अभिभूत होने पर इस प्रकार दाँतो से दाँत दबाना कि मानो खा या चबा ही जाएँगे।

प्रयोग-

  1. जो ज़माने से पिस रहे थे वे दाँत पीसकर समाने आए। - राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह।
  2. आवेश में तो न जाने क्या सोच लेता है आदमी। मगर साधनहीन होने के बाद ख़ाली दाँत पीसकर रह जाता है। -अजित पुष्कल।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र