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!कहावत लोकोक्ति मुहावरे | ! style="width:30%"| कहावत लोकोक्ति मुहावरे | ||
!अर्थ | ! style="width:70%"| अर्थ | ||
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| | | 1- दसै असाढ़ी कृष्ण की, मंगल रोहिनी होय। सस्ता धान बिकाइ हैं, हाथ न छुइहै कोय।। | ||
1- दसै असाढ़ी कृष्ण की, मंगल रोहिनी होय। | | अर्थ - अगर आषाढ़ माह में कृष्णपक्ष दशमी को मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र पड़े तो धान इतना सस्ता बिकेगा कि कोई भी न छुएगा। | ||
सस्ता धान बिकाइ हैं, हाथ न छुइहै कोय।। | |||
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अर्थ - अगर आषाढ़ माह में कृष्णपक्ष दशमी को मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र पड़े तो धान इतना सस्ता बिकेगा कि कोई भी न छुएगा। | |||
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|2- दबी बिल्ली चूहों से कान कतरवाती है। | |2- दबी बिल्ली चूहों से कान कतरवाती है। | ||
| | | अर्थ - दोषी व्यक्ति छोटों के सामने भी सिर नहीं उठा सकता। | ||
अर्थ - दोषी व्यक्ति छोटों के सामने भी सिर नहीं उठा सकता। | |||
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|3- दबाने पर चींटी भी चोट करती है। | |3- दबाने पर चींटी भी चोट करती है। | ||
| | |अर्थ - जिस किसी को दु:ख दिया जाए वह बदला लेता है। | ||
अर्थ - जिस किसी को दु:ख दिया जाए वह बदला लेता है। | |||
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|4- दमड़ी की हाँड़ी गई, कुत्ते की जात पहचानी गई। | |4- दमड़ी की हाँड़ी गई, कुत्ते की जात पहचानी गई। | ||
| | |अर्थ - थोड़ी सी हानि उठाई पर किसी की असलियत तो जान ली। | ||
अर्थ - थोड़ी सी हानि उठाई पर किसी की असलियत तो जान ली। | |||
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|5- दर्जी की सुई, कभी धागे में कभी टाट में। | |5- दर्जी की सुई, कभी धागे में कभी टाट में। | ||
| | |अर्थ - हर परिस्थिति में सहनशीलता बनाये रखना। | ||
अर्थ - हर परिस्थिति में सहनशीलता बनाये रखना। | |||
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|6- दलाल का दिवाला क्या , मस्जिद में ताला क्या। | |6- दलाल का दिवाला क्या , मस्जिद में ताला क्या। | ||
| | |अर्थ - जिसके पास कुछ है ही नहीं ,उसे हानि का क्या डर। | ||
अर्थ - जिसके पास कुछ है ही नहीं ,उसे हानि का क्या डर। | |||
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|7- दाग़ लगाए लँगोटिया यार। | |7- दाग़ लगाए लँगोटिया यार। | ||
| | |अर्थ - आदमी अपनों से ही धोखा खा जाता है। | ||
अर्थ - आदमी अपनों से ही धोखा खा जाता है। | |||
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|8- दाता दे, भंडारी पेट फाड़े। | |8- दाता दे, भंडारी पेट फाड़े। | ||
| | |अर्थ - दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो। | ||
अर्थ - दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो। | |||
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|9- दादा कहने से बनिया गुड़ देता है। | |9- दादा कहने से बनिया गुड़ देता है। | ||
| | |अर्थ - मधुर वाणी से काम बन जाता है। | ||
अर्थ - मधुर वाणी से काम बन जाता है। | |||
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|10- दान के बछिया के दाँत नहीं देखे जाते। | |10- दान के बछिया के दाँत नहीं देखे जाते। | ||
| | |अर्थ - मुफ़्त में मिली वस्तु के गुण-अवगुण नहीं देखे जाते। | ||
अर्थ - मुफ़्त में मिली वस्तु के गुण-अवगुण नहीं देखे जाते। | |||
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|11- दाने-दाने पर मुहर। | |11- दाने-दाने पर मुहर। | ||
| | |अर्थ - हर व्यक्ति का अपना भाग्य होता है। | ||
अर्थ - हर व्यक्ति का अपना भाग्य होता है। | |||
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|12- दाम सँवारे सब काम। | |12- दाम सँवारे सब काम। | ||
| | |अर्थ - पैसा से सब काम हो जाता है। | ||
अर्थ - पैसा से सब काम हो जाता है। | |||
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|13- दाल-भात में मूसलचंद। | |13- दाल-भात में मूसलचंद। | ||
| | |अर्थ - बीच में दख़ल देने वाला। | ||
अर्थ - बीच में दख़ल देने वाला। | |||
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|14- दाल में नमक जितना सच में झूठ। | |14- दाल में नमक जितना सच में झूठ। | ||
| | |अर्थ - थोड़ा सा झूठ तो चल जाता है, जैसे दाल में नमक। | ||
अर्थ - थोड़ा सा झूठ तो चल जाता है, जैसे दाल में नमक। | |||
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|15- दिन भर चले अढ़ाई कोस। | |15- दिन भर चले अढ़ाई कोस। | ||
| | |अर्थ - समय बहुत लगा और काम बहुत थोड़ा हुआ, धीरे धीरे काम होना। | ||
अर्थ - समय बहुत लगा और काम बहुत थोड़ा हुआ, धीरे धीरे काम होना। | |||
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|16- दिल्ली अभी दूर है। | |16- दिल्ली अभी दूर है। | ||
| | |अर्थ - अभी सफलता में देरी है, मंज़िल अभी दूर है। | ||
अर्थ - अभी सफलता में देरी है, मंज़िल अभी दूर है। | |||
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|17- दीवारों के भी कान होते हैं। | |17- दीवारों के भी कान होते हैं। | ||
| | |अर्थ - रहस्य की बात गुप-चुप करनी चाहिए। | ||
अर्थ - रहस्य की बात गुप-चुप करनी चाहिए। | |||
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|18- दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है। | |18- दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है। | ||
| | |अर्थ - जिससे कुछ पाना हो , उसकी धौंस, डपट सहनी पड़ती है। | ||
अर्थ - जिससे कुछ पाना हो , उसकी धौंस, डपट सहनी पड़ती है। | |||
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|19- दुनिया का मुँह किसने पकड़ा है। | |19- दुनिया का मुँह किसने पकड़ा है। | ||
| | |अर्थ - लोग निंदा–स्तुति करते रहते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता । | ||
अर्थ - लोग निंदा–स्तुति करते रहते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता । | |||
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|20- दुविधा में दोऊ गए, माया मिली न राम। | |20- दुविधा में दोऊ गए, माया मिली न राम। | ||
| | |अर्थ - दुविधा में रहने से कुछ नहीं मिलता, करें या ना करें की स्थिति अच्छी नहीं होती। | ||
अर्थ - दुविधा में रहने से कुछ नहीं मिलता, करें या ना करें की स्थिति अच्छी नहीं होती। | |||
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|21- दूलहा को पत्तल नहीं, बनिये को थाल। | |21- दूलहा को पत्तल नहीं, बनिये को थाल। | ||
| | |अर्थ - जिसका जो हक है वह उसे नहीं मिलता। | ||
अर्थ - जिसका जो हक है वह उसे नहीं मिलता। | |||
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|22- दूध का दूध पानी का पानी। | |22- दूध का दूध पानी का पानी। | ||
| | |अर्थ - ठीक-ठीक न्याय मिल जाना। | ||
अर्थ - ठीक-ठीक न्याय मिल जाना। | |||
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|23- दूध पिलाकर साँप को पालना। | |23- दूध पिलाकर साँप को पालना। | ||
| | |अर्थ - शत्रु पर उपकार करना। | ||
अर्थ - शत्रु पर उपकार करना। | |||
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|24- दूर के ढोल सुहावने। | |24- दूर के ढोल सुहावने। | ||
| | |अर्थ - दूर से चीज़ें अच्छी लगती हैं। | ||
अर्थ - दूर से चीज़ें अच्छी लगती हैं। | |||
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|25- दूसरे की पत्तल, लंबा-लंबा भात। | |25- दूसरे की पत्तल, लंबा-लंबा भात। | ||
| | |अर्थ - दूसरे की वस्तु अच्छी लगती है। | ||
अर्थ - दूसरे की वस्तु अच्छी लगती है। | |||
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|26- देसी कुतिया विलायती बोली। | |26- देसी कुतिया विलायती बोली। | ||
| | |अर्थ - किसी की नकल में अपनापन छोड़ना। | ||
अर्थ - किसी की नकल में अपनापन छोड़ना। | |||
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|27- [[देह धरे का दंड|देह धरे का दंड है, हर काहू को होय]]। | |27- [[देह धरे का दंड|देह धरे का दंड है, हर काहू को होय]]। ज्ञानी काटे ज्ञान से, मूरख काटे रोय।। | ||
ज्ञानी काटे ज्ञान से, मूरख काटे रोय।। | |अर्थ - जीवन में शरीर के साथ कष्ट तो लगा रहता है, बुद्धिमान व्यक्ति युक्ति से और बेवकूफ रो रोकर जीवन जीता है । | ||
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अर्थ - जीवन में शरीर के साथ कष्ट तो लगा रहता है, बुद्धिमान व्यक्ति युक्ति से और बेवकूफ रो रोकर जीवन जीता है । | |||
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|28- दोनों हाथों से ताली बजती है। | |28- दोनों हाथों से ताली बजती है। | ||
| | | अर्थ - लड़ाई झगड़े के ज़िम्मेदार दोनों पक्ष होते हैं। | ||
अर्थ - लड़ाई झगड़े के ज़िम्मेदार दोनों पक्ष होते हैं। | |||
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|29- दोनों हाथों में लड्डू। | |29- दोनों हाथों में लड्डू। | ||
| | |अर्थ - हर तरफ लाभ ही लाभ होना। | ||
अर्थ - हर तरफ लाभ ही लाभ होना। | |||
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|30- दो मुल्लों में मुर्गी हलाल। | |30- दो मुल्लों में मुर्गी हलाल। | ||
| | |अर्थ - एक ही काम की ज़िम्मेदारी दो लोगों को देने से दिया गया काम बिगड़ जाता है। | ||
अर्थ - एक ही काम की ज़िम्मेदारी दो लोगों को देने से दिया गया काम बिगड़ जाता है। | |||
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|31- दो लड़ें तीसरा ले उड़े। | |31- दो लड़ें तीसरा ले उड़े। | ||
| | |अर्थ - दो व्यक्तियों की लड़ाई में तीसरे व्यक्ति की बन आती है। | ||
अर्थ - दो व्यक्तियों की लड़ाई में तीसरे व्यक्ति की बन आती है। | |||
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|32- दुविधा में दोनों गये, माया मिली ना राम। | |32- दुविधा में दोनों गये, माया मिली ना राम। | ||
| | |अर्थ - दुविधा में हमेशा हानि हो जाती है। संशय में कोई भी काम पूरा नहीं होता है। | ||
अर्थ - दुविधा में हमेशा हानि हो जाती है। संशय में कोई भी काम पूरा नहीं होता है। | |||
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|33- दमड़ी की बुढिया टका सिर मुँड़ाई। | |33- दमड़ी की बुढिया टका सिर मुँड़ाई। | ||
| | |अर्थ - मामूली चीज़ के रखरखाव और मरम्मत पर ज़्यादा खर्च करना। | ||
अर्थ - मामूली चीज़ के रखरखाव और मरम्मत पर ज़्यादा खर्च करना। | |||
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|34- दाढ़ी पेट में होना। | |34- दाढ़ी पेट में होना। | ||
| | |अर्थ - छोटी उम्र में अधिक ज्ञान। | ||
अर्थ - छोटी उम्र में अधिक ज्ञान। | |||
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|35- दमड़ी के तीन होना। | |35- दमड़ी के तीन होना। | ||
| | |अर्थ - सस्ते होना। | ||
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|36- दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना। | |36- दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना। | ||
| | |अर्थ - मामूली सी बात के लिए भारी दंड देना। | ||
अर्थ - मामूली सी बात के लिए भारी दंड देना। | |||
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|37- दम भरना। | |37- दम भरना। | ||
| | |अर्थ - जिसको कष्ट होता है वही उसका अनुभव कर सकता है। | ||
अर्थ - जिसको कष्ट होता है वही उसका अनुभव कर सकता है। | |||
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|38- दाँत काटी रोटी। | |38- दाँत काटी रोटी। | ||
| | |अर्थ - घनिष्ठ मित्रता। | ||
अर्थ - घनिष्ठ मित्रता। | |||
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|39- दाँत खट्टे करना। | |39- दाँत खट्टे करना। | ||
| | |अर्थ - हरा देना। | ||
अर्थ - हरा देना। | |||
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|40- दाँत तालू में जमना। | |40- दाँत तालू में जमना। | ||
| | |अर्थ - बुरे दिन आना। | ||
अर्थ - बुरे दिन आना। | |||
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|41- दाई से पेट छिपाना। | |41- दाई से पेट छिपाना। | ||
| | |अर्थ - जानकार से बात छिपाना। | ||
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|42- दांत पीसकर रह जाना। | |42- दांत पीसकर रह जाना। | ||
| | |अर्थ - क्रोध रोक लेना। | ||
अर्थ - क्रोध रोक लेना। | |||
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|43- | |43- दाँतों तले उँगली दबाना। | ||
| | |अर्थ - आर्श्चय चकित होना। | ||
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|44- दाल जूतियों में बंटना। | |44- दाल जूतियों में बंटना। | ||
| | |अर्थ - अनबन होना। | ||
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|45- दाल न गलना। | |45- दाल न गलना। | ||
| | |अर्थ - बस न चलना। | ||
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|46- दाल में काला होना। | |46- दाल में काला होना। | ||
| | |अर्थ - संदेह होना। | ||
अर्थ - संदेह होना। | |||
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|47- दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति होना। | |47- दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति होना। | ||
| | |अर्थ - तीव्र गति से विकास। | ||
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|48- दिन पहाड़ होना। | |48- दिन पहाड़ होना। | ||
| | |अर्थ - दिन नहीं कटना। | ||
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|49- दिनों का फेर होना। | |49- दिनों का फेर होना। | ||
| | |अर्थ - समय समय की बात होना। | ||
अर्थ - समय समय की बात होना। | |||
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|50- दिमाग आसमान पर चढ़ना। | |50- दिमाग आसमान पर चढ़ना। | ||
| | |अर्थ - बहुत घमंड होना। | ||
अर्थ - बहुत घमंड होना। | |||
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|51- दिल का गुबार निकालना। | |51- दिल का गुबार निकालना। | ||
| | |अर्थ - दबा भाव प्रकट करना। | ||
अर्थ - दबा भाव प्रकट करना। | |||
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|52- दिल के फफोले तोड़ना। | |52- दिल के फफोले तोड़ना। | ||
| | |अर्थ - कुढ़कर जली-कटी बातें कहना। | ||
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|53- दिल भर आना। | |53- दिल भर आना। | ||
| | |अर्थ - दु:खी होना। | ||
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|54- दिल मसोसकर रह जाना। | |54- दिल मसोसकर रह जाना। | ||
| | |अर्थ - मन में खीझकर रह जाना। | ||
अर्थ - मन में खीझकर रह जाना। | |||
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|55- दूज का चाँद होना। | |55- दूज का चाँद होना। | ||
| | |अर्थ - बहुत दिनों बाद दिखाई देना। | ||
अर्थ - बहुत दिनों बाद दिखाई देना। | |||
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|56- दूध का धुला होना। | |56- दूध का धुला होना। | ||
| | |अर्थ - निर्दोष होना। | ||
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|57- दूध का दूध और पानी का पानी। | |57- दूध का दूध और पानी का पानी। | ||
| | |अर्थ - सही निर्णय करना। | ||
अर्थ - सही निर्णय करना। | |||
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|58- दूध के दाँत न टूटना। | |58- दूध के दाँत न टूटना। | ||
| | |अर्थ - ज्ञान और अनुभव न होना। | ||
अर्थ - ज्ञान और अनुभव न होना। | |||
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|59- दूर की कौड़ी लाना। | |59- दूर की कौड़ी लाना। | ||
| | |अर्थ - दूर तक का सोच लेना। | ||
अर्थ - दूर तक का सोच लेना। | |||
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|60- देवता कूच कर जाना। | |60- देवता कूच कर जाना। | ||
| | |अर्थ - घबरा जाना। | ||
अर्थ - घबरा जाना। | |||
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|61- दो टूक बात कहना। | |61- दो टूक बात कहना। | ||
| | |अर्थ - साफ-साफ कहना। | ||
अर्थ - साफ-साफ कहना। | |||
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|62- दो दिन का मेहमान। | |62- दो दिन का मेहमान। | ||
| | |अर्थ - जल्दी मरने वाला। | ||
अर्थ - जल्दी मरने वाला। | |||
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|63- दो नावों पर पैर रखना। | |63- दो नावों पर पैर रखना। | ||
| | |अर्थ - दोनों तरफ रहना। | ||
अर्थ - दोनों तरफ रहना। | |||
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12:05, 20 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें
कहावत लोकोक्ति मुहावरे | अर्थ |
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1- दसै असाढ़ी कृष्ण की, मंगल रोहिनी होय। सस्ता धान बिकाइ हैं, हाथ न छुइहै कोय।। | अर्थ - अगर आषाढ़ माह में कृष्णपक्ष दशमी को मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र पड़े तो धान इतना सस्ता बिकेगा कि कोई भी न छुएगा। |
2- दबी बिल्ली चूहों से कान कतरवाती है। | अर्थ - दोषी व्यक्ति छोटों के सामने भी सिर नहीं उठा सकता। |
3- दबाने पर चींटी भी चोट करती है। | अर्थ - जिस किसी को दु:ख दिया जाए वह बदला लेता है। |
4- दमड़ी की हाँड़ी गई, कुत्ते की जात पहचानी गई। | अर्थ - थोड़ी सी हानि उठाई पर किसी की असलियत तो जान ली। |
5- दर्जी की सुई, कभी धागे में कभी टाट में। | अर्थ - हर परिस्थिति में सहनशीलता बनाये रखना। |
6- दलाल का दिवाला क्या , मस्जिद में ताला क्या। | अर्थ - जिसके पास कुछ है ही नहीं ,उसे हानि का क्या डर। |
7- दाग़ लगाए लँगोटिया यार। | अर्थ - आदमी अपनों से ही धोखा खा जाता है। |
8- दाता दे, भंडारी पेट फाड़े। | अर्थ - दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो। |
9- दादा कहने से बनिया गुड़ देता है। | अर्थ - मधुर वाणी से काम बन जाता है। |
10- दान के बछिया के दाँत नहीं देखे जाते। | अर्थ - मुफ़्त में मिली वस्तु के गुण-अवगुण नहीं देखे जाते। |
11- दाने-दाने पर मुहर। | अर्थ - हर व्यक्ति का अपना भाग्य होता है। |
12- दाम सँवारे सब काम। | अर्थ - पैसा से सब काम हो जाता है। |
13- दाल-भात में मूसलचंद। | अर्थ - बीच में दख़ल देने वाला। |
14- दाल में नमक जितना सच में झूठ। | अर्थ - थोड़ा सा झूठ तो चल जाता है, जैसे दाल में नमक। |
15- दिन भर चले अढ़ाई कोस। | अर्थ - समय बहुत लगा और काम बहुत थोड़ा हुआ, धीरे धीरे काम होना। |
16- दिल्ली अभी दूर है। | अर्थ - अभी सफलता में देरी है, मंज़िल अभी दूर है। |
17- दीवारों के भी कान होते हैं। | अर्थ - रहस्य की बात गुप-चुप करनी चाहिए। |
18- दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है। | अर्थ - जिससे कुछ पाना हो , उसकी धौंस, डपट सहनी पड़ती है। |
19- दुनिया का मुँह किसने पकड़ा है। | अर्थ - लोग निंदा–स्तुति करते रहते हैं, उन्हें रोका नहीं जा सकता । |
20- दुविधा में दोऊ गए, माया मिली न राम। | अर्थ - दुविधा में रहने से कुछ नहीं मिलता, करें या ना करें की स्थिति अच्छी नहीं होती। |
21- दूलहा को पत्तल नहीं, बनिये को थाल। | अर्थ - जिसका जो हक है वह उसे नहीं मिलता। |
22- दूध का दूध पानी का पानी। | अर्थ - ठीक-ठीक न्याय मिल जाना। |
23- दूध पिलाकर साँप को पालना। | अर्थ - शत्रु पर उपकार करना। |
24- दूर के ढोल सुहावने। | अर्थ - दूर से चीज़ें अच्छी लगती हैं। |
25- दूसरे की पत्तल, लंबा-लंबा भात। | अर्थ - दूसरे की वस्तु अच्छी लगती है। |
26- देसी कुतिया विलायती बोली। | अर्थ - किसी की नकल में अपनापन छोड़ना। |
27- देह धरे का दंड है, हर काहू को होय। ज्ञानी काटे ज्ञान से, मूरख काटे रोय।। | अर्थ - जीवन में शरीर के साथ कष्ट तो लगा रहता है, बुद्धिमान व्यक्ति युक्ति से और बेवकूफ रो रोकर जीवन जीता है । |
28- दोनों हाथों से ताली बजती है। | अर्थ - लड़ाई झगड़े के ज़िम्मेदार दोनों पक्ष होते हैं। |
29- दोनों हाथों में लड्डू। | अर्थ - हर तरफ लाभ ही लाभ होना। |
30- दो मुल्लों में मुर्गी हलाल। | अर्थ - एक ही काम की ज़िम्मेदारी दो लोगों को देने से दिया गया काम बिगड़ जाता है। |
31- दो लड़ें तीसरा ले उड़े। | अर्थ - दो व्यक्तियों की लड़ाई में तीसरे व्यक्ति की बन आती है। |
32- दुविधा में दोनों गये, माया मिली ना राम। | अर्थ - दुविधा में हमेशा हानि हो जाती है। संशय में कोई भी काम पूरा नहीं होता है। |
33- दमड़ी की बुढिया टका सिर मुँड़ाई। | अर्थ - मामूली चीज़ के रखरखाव और मरम्मत पर ज़्यादा खर्च करना। |
34- दाढ़ी पेट में होना। | अर्थ - छोटी उम्र में अधिक ज्ञान। |
35- दमड़ी के तीन होना। | अर्थ - सस्ते होना। |
36- दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना। | अर्थ - मामूली सी बात के लिए भारी दंड देना। |
37- दम भरना। | अर्थ - जिसको कष्ट होता है वही उसका अनुभव कर सकता है। |
38- दाँत काटी रोटी। | अर्थ - घनिष्ठ मित्रता। |
39- दाँत खट्टे करना। | अर्थ - हरा देना। |
40- दाँत तालू में जमना। | अर्थ - बुरे दिन आना। |
41- दाई से पेट छिपाना। | अर्थ - जानकार से बात छिपाना। |
42- दांत पीसकर रह जाना। | अर्थ - क्रोध रोक लेना। |
43- दाँतों तले उँगली दबाना। | अर्थ - आर्श्चय चकित होना। |
44- दाल जूतियों में बंटना। | अर्थ - अनबन होना। |
45- दाल न गलना। | अर्थ - बस न चलना। |
46- दाल में काला होना। | अर्थ - संदेह होना। |
47- दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति होना। | अर्थ - तीव्र गति से विकास। |
48- दिन पहाड़ होना। | अर्थ - दिन नहीं कटना। |
49- दिनों का फेर होना। | अर्थ - समय समय की बात होना। |
50- दिमाग आसमान पर चढ़ना। | अर्थ - बहुत घमंड होना। |
51- दिल का गुबार निकालना। | अर्थ - दबा भाव प्रकट करना। |
52- दिल के फफोले तोड़ना। | अर्थ - कुढ़कर जली-कटी बातें कहना। |
53- दिल भर आना। | अर्थ - दु:खी होना। |
54- दिल मसोसकर रह जाना। | अर्थ - मन में खीझकर रह जाना। |
55- दूज का चाँद होना। | अर्थ - बहुत दिनों बाद दिखाई देना। |
56- दूध का धुला होना। | अर्थ - निर्दोष होना। |
57- दूध का दूध और पानी का पानी। | अर्थ - सही निर्णय करना। |
58- दूध के दाँत न टूटना। | अर्थ - ज्ञान और अनुभव न होना। |
59- दूर की कौड़ी लाना। | अर्थ - दूर तक का सोच लेना। |
60- देवता कूच कर जाना। | अर्थ - घबरा जाना। |
61- दो टूक बात कहना। | अर्थ - साफ-साफ कहना। |
62- दो दिन का मेहमान। | अर्थ - जल्दी मरने वाला। |
63- दो नावों पर पैर रखना। | अर्थ - दोनों तरफ रहना। |