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#अस्वस्थता, रुग्णता आदि के कारण मुँह का स्वाद बिगड़ना।
#अस्वस्थता, रुग्णता आदि के कारण मुँह का स्वाद बिगड़ना।
#बढ़िया-बढ़िया और चटपटी चीज़ें खाने का चस्का पड़ना।
#बढ़िया-बढ़िया और चटपटी चीज़ें खाने का चस्का पड़ना।
#मुँह से अपअशब्द निकलना।
#मुँह से अपशब्द निकलना।


'''प्रयोग'''- विवेक का तो दिल्ली आकर खाने का स्वाद ही बदल गया है।
 
 
'''प्रयोग''' -
#हरीश कई दिन से बुख़ार में पड़ा हुआ है, जिस कारण उसकी 'ज़बान बिगड़' गई है।
#अरे बाज़ार में इतना कुछ क्यों खाते हो। आजकल तुम्हारी कुछ ज़्यादा ही 'ज़बान बिगड़' गई है।
#माँ ने मोहन से कहा- "कुछ अधिक ही तुम्हारी 'ज़बान बिगड़' गई है, इसीलिए पलट कर जवाब देते हो।


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
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==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
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12:39, 21 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

ज़बान बिगड़ना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ-

  1. अस्वस्थता, रुग्णता आदि के कारण मुँह का स्वाद बिगड़ना।
  2. बढ़िया-बढ़िया और चटपटी चीज़ें खाने का चस्का पड़ना।
  3. मुँह से अपशब्द निकलना।


प्रयोग -

  1. हरीश कई दिन से बुख़ार में पड़ा हुआ है, जिस कारण उसकी 'ज़बान बिगड़' गई है।
  2. अरे बाज़ार में इतना कुछ क्यों खाते हो। आजकल तुम्हारी कुछ ज़्यादा ही 'ज़बान बिगड़' गई है।
  3. माँ ने मोहन से कहा- "कुछ अधिक ही तुम्हारी 'ज़बान बिगड़' गई है, इसीलिए पलट कर जवाब देते हो।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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