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'''अर्थ'''- क्रोध या ईर्ष्या से अत्यंत दुखी होना।
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'''प्रयोग'''- ब्रह्मचारी कच द्वारा देवयानी के रूप की प्रशंसा सुनकर शर्मिष्ठा अंदर से जल-भुन गई।(यज्ञदत्त)
'''प्रयोग'''- ब्रह्मचारी [[कच]] द्वारा [[देवयानी]] के रूप की प्रशंसा सुनकर [[शर्मिष्ठा]] अंदर से जल-भुन गई। ...(यज्ञदत्त)


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12:39, 21 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

जल-भुन जाना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- क्रोध या ईर्ष्या से अत्यंत दुखी होना।

प्रयोग- ब्रह्मचारी कच द्वारा देवयानी के रूप की प्रशंसा सुनकर शर्मिष्ठा अंदर से जल-भुन गई। ...(यज्ञदत्त)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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