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| 1- ककड़ी-खीरा समझना। | | 1- ककड़ी-खीरा समझना। | ||
| | | अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना। | ||
अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना। | |||
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| 2- कच्चा चिट्ठा खोलना। | | 2- कच्चा चिट्ठा खोलना। | ||
| | | अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना। | ||
अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना। | |||
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| 3- काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती। | | 3- काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती। | ||
| | | अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं। | ||
अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं। | |||
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|4- कंगाली में आटा गीला। | |4- कंगाली में आटा गीला। | ||
| | | अर्थ - नुक़सान पर नुक़सान होना। | ||
अर्थ - नुक़सान पर नुक़सान होना। | |||
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|5- कंधे से कंधा छिलना। | |5- कंधे से कंधा छिलना। | ||
| | | अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है। | ||
अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है। | |||
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|6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो। | |6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो। | ||
| | | अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी। | ||
अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी। | |||
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|7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।। | |7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।। | ||
| | | अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फ़सल काटनी चाहिए। | ||
अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फ़सल काटनी चाहिए। | |||
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|8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।। | |8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।। | ||
| | | अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- अर्थात् वह धान उपजता है। | ||
अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- | |||
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|9- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। | |9- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। | ||
| | | अर्थ - एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है। | ||
अर्थ - एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है। | |||
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|10- कंगाली में आटा गीला। | |10- कंगाली में आटा गीला। | ||
| | | अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना। | ||
अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना। | |||
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|11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती। | |11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती। | ||
| | | अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है। | ||
अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है। | |||
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|12- कचहरी का दरवाज़ा खुला है। | |12- कचहरी का दरवाज़ा खुला है। | ||
| | | अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए। | ||
अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए। | |||
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|13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा। | |13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा। | ||
| | | अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना। | ||
अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना। | |||
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|14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी। | |14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी। | ||
| | | अर्थ - उलटी बात करना। | ||
अर्थ - उलटी बात करना। | |||
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|15- क़ब्र में पाँव लटकाए बैठा है । | |15- क़ब्र में पाँव लटकाए बैठा है । | ||
| | | अर्थ - मरणासन्न । | ||
अर्थ - मरणासन्न । | |||
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|16- कभी दिन बड़े कभी रात। | |16- कभी दिन बड़े कभी रात। | ||
| | | अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते। | ||
अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते। | |||
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|17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर। | |17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर। | ||
| | | अर्थ - हालात बदलते रहते हैं। | ||
अर्थ - हालात बदलते रहते हैं। | |||
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|18- कमली ओढ़ने से फ़कीर नहीं होता। | |18- कमली ओढ़ने से फ़कीर नहीं होता। | ||
| | | अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते। | ||
अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते। | |||
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|19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती। | |19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती। | ||
| | | अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए। | ||
अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए। | |||
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|20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान | |20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान | ||
| | | अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी। | ||
अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी। | |||
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|21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया। | |21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया। | ||
| | |अर्थ - | ||
अर्थ - | |||
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|22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े। | |22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े। | ||
| | | अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम ख़राब होता रहता है। | ||
अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम ख़राब होता रहता है। | |||
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|23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम। | |23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम। | ||
| | | अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए। | ||
अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए। | |||
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|24- कर सेवा तो खा मेवा। | |24- कर सेवा तो खा मेवा। | ||
| | | अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है। | ||
अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है। | |||
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|25- करे कोई भरे कोई। | |25- करे कोई भरे कोई। | ||
| | | अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे। | ||
अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे। | |||
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|26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला। | |26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला। | ||
| | | अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है। | ||
अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है। | |||
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|27- कल किसने देखा है। | |27- कल किसने देखा है। | ||
| | | अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है। | ||
अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है। | |||
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|28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है। | |28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है। | ||
| | | अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा। | ||
अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा। | |||
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|29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता। | |29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता। | ||
| | | अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता। | ||
अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता। | |||
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|30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय। | |30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय। | ||
| | | अर्थ - उच्च कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती। | ||
अर्थ - उच्च कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती। | |||
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|31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा। | |31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा। | ||
| | | अर्थ - बेमेल चीज़ें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना। | ||
अर्थ - बेमेल चीज़ें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना। | |||
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|32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है। | |32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है। | ||
| | | अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता। | ||
अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता। | |||
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|33- कहें खेत की, सुने खलिहान की। | |33- कहें खेत की, सुने खलिहान की। | ||
| | | अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया। | ||
अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया। | |||
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|34- काग़ज़ की नाव नहीं चलती। | |34- काग़ज़ की नाव नहीं चलती। | ||
| | | अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती। | ||
अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती। | |||
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|35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय, | |35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय, एक लीक काजल की लगि है सो लागि है। | ||
एक लीक काजल की लगि है सो लागि है। | | अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है। | ||
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अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है। | |||
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|36- क़ाज़ी जी दुबले क्यों शहर के अंदेशे से। | |36- क़ाज़ी जी दुबले क्यों शहर के अंदेशे से। | ||
| | | अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना। | ||
अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना। | |||
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|37- काठ की हाँडी एक ही बार चढ़ती है। | |37- काठ की हाँडी एक ही बार चढ़ती है। | ||
| | | अर्थ - धोखेबाज़ी हर बार नहीं चल सकती है। | ||
अर्थ - धोखेबाज़ी हर बार नहीं चल सकती है। | |||
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|38- कान में तेल डाले बैठे हैं। | |38- कान में तेल डाले बैठे हैं। | ||
| | | अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की ख़बर ही नहीं। | ||
अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की ख़बर ही नहीं। | |||
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|39- काम का ना काज का , दुश्मन अनाज का। | |39- काम का ना काज का , दुश्मन अनाज का। | ||
| | | अर्थ - निकम्मा आदमी। | ||
अर्थ - निकम्मा आदमी। | |||
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|40- क़ाबुल में क्या गधे नहीं होते। | |40- क़ाबुल में क्या गधे नहीं होते। | ||
| | | अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है। | ||
अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है। | |||
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|41- काम को काम सिखाता है। | |41- काम को काम सिखाता है। | ||
| | | अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है। | ||
अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है। | |||
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|42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान, | |42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान, काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक। | ||
काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक। | | अर्थ - मृत्यु सब को आती है। | ||
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अर्थ - मृत्यु सब को आती है। | |||
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|43- काला अक्षर भैंस बराबर। | |43- काला अक्षर भैंस बराबर। | ||
| | | अर्थ - पढ़ा लिखा ना होना। | ||
अर्थ - पढ़ा लिखा ना होना। | |||
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|44- काली के ब्याह को सौ जोखो। | |44- काली के ब्याह को सौ जोखो। | ||
| | | अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं। | ||
अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं। | |||
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|45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान। | |45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान। | ||
| | | अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती। | ||
अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती। | |||
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|46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है। | |46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है। | ||
| | | अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात् नगण्य है। | ||
अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है | |||
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|47- किसी का घर जले कोई तापे। | |47- किसी का घर जले कोई तापे। | ||
| | | अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना। | ||
अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना। | |||
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|48- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना। | |48- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना। | ||
| | | अर्थ - कंजूस होना। | ||
अर्थ - कंजूस होना। | |||
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|49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है। | |49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है। | ||
| | | अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है। | ||
अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है। | |||
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|50- कौए उड़ाना। | |50- कौए उड़ाना। | ||
| | | अर्थ - घटिया या छोटे काम करना। | ||
अर्थ - घटिया या छोटे काम करना। | |||
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|51- कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है। | |51- कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है। | ||
| | | अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है। | ||
अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है। | |||
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|52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी। | |52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी। | ||
| | | अर्थ - लाख प्रयत्न करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता। | ||
अर्थ - लाख प्रयत्न करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता। | |||
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|53- कुत्ते को घी नहीं पचता। | |53- कुत्ते को घी नहीं पचता। | ||
| | | अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है। | ||
अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है। | |||
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|54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते। | |54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते। | ||
| | | अर्थ - महापुरुष नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं। | ||
अर्थ - महापुरुष नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं। | |||
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|55- कोल्हू का बैल। | |55- कोल्हू का बैल। | ||
| | | अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला। | ||
अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला। | |||
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|56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय। | |56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय। | ||
| | | अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता। | ||
अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता। | |||
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|57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे। | |57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे। | ||
| | | अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता। | ||
अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता। | |||
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|58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत। | |58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत। | ||
| | | अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई ग़रीबी में भी संतुष्ट है। | ||
अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई ग़रीबी में भी संतुष्ट है। | |||
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|59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे। | |59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे। | ||
| | | अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, ग़रीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है। | ||
अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, ग़रीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है। | |||
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|60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ। | |60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ। | ||
| | | अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है। | ||
अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है। | |||
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|61- कोयलों की दलाली में हाथ काले। | |61- कोयलों की दलाली में हाथ काले। | ||
| | | अर्थ - बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है। | ||
अर्थ - बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है। | |||
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|62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग़ की सैर। | |62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग़ की सैर। | ||
| | | अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया। | ||
अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया। | |||
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|63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं। | |63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं। | ||
| | | अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती। | ||
अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती। | |||
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|64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। | |64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। | ||
| | | अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है। | ||
अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है। | |||
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|65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा। | |65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा। | ||
| | | अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है। | ||
अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है। | |||
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|66- का वर्षा जब कृषि सुखानी। | |66- का वर्षा जब कृषि सुखानी। | ||
| | | अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है। | ||
अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है। | |||
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|67- कच्ची गोली नहीं खेलना। | |67- कच्ची गोली नहीं खेलना। | ||
| | | अर्थ - अनुभवहीन नहीं होना, पारंगत होना। | ||
अर्थ - अनुभवहीन नहीं होना, पारंगत होना। | |||
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|68- कट जाना। | |68- कट जाना। | ||
| | | अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना। | ||
अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना। | |||
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|69- कटे पर नमक छिड़कना। | |69- कटे पर नमक छिड़कना। | ||
| | | अर्थ - दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना। | ||
अर्थ - दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना। | |||
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|70- कढ़ी का सा उबाल। | |70- कढ़ी का सा उबाल। | ||
| | | अर्थ - मामूली से जोश में आना। | ||
अर्थ - मामूली से जोश में आना। | |||
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|71- क़दम उखड़ना। | |71- क़दम उखड़ना। | ||
| | | अर्थ - भाग खड़े होना। | ||
अर्थ - भाग खड़े होना। | |||
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|72- [[कन्नी काटना]]। | |72- [[कन्नी काटना]]। | ||
| | | अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना, किसी का सामना न करना, उससे दूर ही दूर रहना। | ||
अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना, किसी का सामना न करना, उससे दूर ही दूर रहना। | |||
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|73- कमर कसना। | |73- कमर कसना। | ||
| | | अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना। | ||
अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना। | |||
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|74- कलम का धनी। | |74- कलम का धनी। | ||
| | | अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना। | ||
अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना। | |||
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|75- कलम तोड़ना। | |75- कलम तोड़ना। | ||
| | | अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना। | ||
अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना। | |||
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|76- कली खिलना। | |76- कली खिलना। | ||
| | | अर्थ - बहुत खुश होना। | ||
अर्थ - बहुत खुश होना। | |||
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|77- कलेजा ठंडा होना। | |77- कलेजा ठंडा होना। | ||
| | | अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना। | ||
अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना। | |||
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|78- कलेजा धक से रह जाना। | |78- कलेजा धक से रह जाना। | ||
| | | अर्थ - डर जाना, घबरा जाना। | ||
अर्थ - डर जाना, घबरा जाना। | |||
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|79- कलेजा मुँह को आना। | |79- कलेजा मुँह को आना। | ||
| | | अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना। | ||
अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना। | |||
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|80- कलेजा का टुकड़ा। | |80- कलेजा का टुकड़ा। | ||
| | | अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना। | ||
अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना। | |||
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|81- कलेजे पर साँप लोटना। | |81- कलेजे पर साँप लोटना। | ||
| | | अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना। | ||
अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना। | |||
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|82- कहा-सुनी होना। | |82- कहा-सुनी होना। | ||
| | | अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना। | ||
अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना। | |||
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|83- काँटा दूर होना। | |83- काँटा दूर होना। | ||
| | | अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना। | ||
अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना। | |||
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|84- काँटे बिछाना। | |84- काँटे बिछाना। | ||
| | | अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना। | ||
अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना। | |||
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|85- काँटों पर लेटना। | |85- काँटों पर लेटना। | ||
| | | अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना। | ||
अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना। | |||
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|86- काँटों पर घसीटना। | |86- काँटों पर घसीटना। | ||
| | | अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना। | ||
अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना। | |||
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|87- काग़ज़ी घोड़े दौड़ाना। | |87- काग़ज़ी घोड़े दौड़ाना। | ||
| | | अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना। | ||
अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना। | |||
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|88- काजल की कोठरी। | |88- काजल की कोठरी। | ||
| | | अर्थ - कलंक लगने का स्थान। | ||
अर्थ - कलंक लगने का स्थान। | |||
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|89- काठ का उल्लू। | |89- काठ का उल्लू। | ||
| | | अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना। | ||
अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना। | |||
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|90- काठ मार जाना। | |90- काठ मार जाना। | ||
| | | अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना। | ||
अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना। | |||
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|91- कान कतरना। | |91- कान कतरना। | ||
| | | अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना। | ||
अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना। | |||
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|92- कान खड़े होना। | |92- कान खड़े होना। | ||
| | | अर्थ - चौकन्ना होना। | ||
अर्थ - चौकन्ना होना। | |||
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|93- कान खोलना। | |93- कान खोलना। | ||
| | | अर्थ - सावधान कर देना। | ||
अर्थ - सावधान कर देना। | |||
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|94- कान गरम करना। | |94- कान गरम करना। | ||
| | | अर्थ - पिटाई करना। | ||
अर्थ - पिटाई करना। | |||
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|95- कान देना। | |95- कान देना। | ||
| | | अर्थ - ध्यान से सुनना। | ||
अर्थ - ध्यान से सुनना। | |||
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|96- कान पकड़ना। | |96- कान पकड़ना। | ||
| | | अर्थ - ग़लती मान लेना। | ||
अर्थ - ग़लती मान लेना। | |||
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|97- कान पर जूँ तक न रेंगना। | |97- कान पर जूँ तक न रेंगना। | ||
| | | अर्थ - कुछ भी परवाह न करना। | ||
अर्थ - कुछ भी परवाह न करना। | |||
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|98- कान भरना। | |98- कान भरना। | ||
| | | अर्थ - चुगली करना। | ||
अर्थ - चुगली करना। | |||
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|99- कान में बात डाल देना। | |99- कान में बात डाल देना। | ||
| | | अर्थ - सुना देना, कह देना। | ||
अर्थ - सुना देना, कह देना। | |||
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|100- कान में तेल डालकर बैठना। | |100- कान में तेल डालकर बैठना। | ||
| | | अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना। | ||
अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना। | |||
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|101- कान में फूँकना। | |101- कान में फूँकना। | ||
| | | अर्थ - चुपचाप से कह देना। | ||
अर्थ - चुपचाप से कह देना। | |||
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|102- कान लगाना। | |102- कान लगाना। | ||
| | | अर्थ - ध्यान देकर सुनना। | ||
अर्थ - ध्यान देकर सुनना। | |||
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|103- काफ़ूर होना। | |103- काफ़ूर होना। | ||
| | |अर्थ - गायब हो जाना। | ||
अर्थ - गायब हो जाना। | |||
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|104- कोर दबना। | |104- कोर दबना। | ||
| | |अर्थ - दबाव में होना। | ||
अर्थ - दबाव में होना। | |||
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|105- काम तमाम करना। | |105- काम तमाम करना। | ||
| | |अर्थ - मार डालना। | ||
अर्थ - मार डालना। | |||
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|106- काया पलट जाना। | |106- काया पलट जाना। | ||
| | |अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना। | ||
अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना। | |||
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|107- काल कवलित होना। | |107- काल कवलित होना। | ||
| | |अर्थ - मर जाना। | ||
अर्थ - मर जाना। | |||
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|108- काल के गाल में जाना। | |108- काल के गाल में जाना। | ||
| | |अर्थ - मर जाना। | ||
अर्थ - मर जाना। | |||
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|109- काला नाग। | |109- काला नाग। | ||
| | |अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति । | ||
अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति । | |||
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|110- काला मुँह करना। | |110- काला मुँह करना। | ||
| | |अर्थ - बदनामी करना, नाम ख़राब करना। | ||
अर्थ - बदनामी करना, नाम ख़राब करना। | |||
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|111- काले कोसों। | |111- काले कोसों। | ||
| | |अर्थ - बहुत दूर। | ||
अर्थ - बहुत दूर। | |||
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|112- किताबी कीड़ा होना। | |112- किताबी कीड़ा होना। | ||
| | |अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना। | ||
अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना। | |||
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|113- किरकिरी हो जाना। | |113- किरकिरी हो जाना। | ||
| | |अर्थ - विघ्न पड़ना। | ||
अर्थ - विघ्न पड़ना। | |||
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|114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा। | |114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा। | ||
| | |अर्थ - किसी भी काम का न होना। | ||
अर्थ - किसी भी काम का न होना। | |||
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|115- क़िस्मत फूटना। | |115- क़िस्मत फूटना। | ||
| | |अर्थ - बुरे दिन आना। | ||
अर्थ - बुरे दिन आना। | |||
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|116- कीचड़ उछालना। | |116- कीचड़ उछालना। | ||
| | |अर्थ - निंदा करना। | ||
अर्थ - निंदा करना। | |||
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|117- [[कुआँ खोदना]]। | |117- [[कुआँ खोदना]]। | ||
| | |अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना या किसी को फँसाने के लिए जाल रचना। | ||
अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना या किसी को फँसाने के लिए जाल रचना। | |||
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|118- कुएँ में गिरना। | |118- कुएँ में गिरना। | ||
| | |अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना। | ||
अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना। | |||
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|119- कुएँ में भाँग पड़ना। | |119- कुएँ में भाँग पड़ना। | ||
| | |अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना। | ||
अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना। | |||
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|120- कुछ उठा न रखना। | |120- कुछ उठा न रखना। | ||
| | |अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना। | ||
अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना। | |||
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|121- कुत्ते की दुम। | |121- कुत्ते की दुम। | ||
| | |अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना। | ||
अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना। | |||
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|122- कुत्ते की मौत मरना। | |122- कुत्ते की मौत मरना। | ||
| | |अर्थ - बुरी तरह मरना। | ||
अर्थ - बुरी तरह मरना। | |||
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|123- कूच कर जाना। | |123- कूच कर जाना। | ||
| | |अर्थ - चले जाना। | ||
अर्थ - चले जाना। | |||
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|124- कूप मंडूक होना। | |124- कूप मंडूक होना। | ||
| | |अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना। | ||
अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना। | |||
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|125- कोई दम भर का मेहमान होना। | |125- कोई दम भर का मेहमान होना। | ||
| | |अर्थ - मरने के क़रीब होना। | ||
अर्थ - मरने के क़रीब होना। | |||
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|126- कोढ़ में खाज होना। | |126- कोढ़ में खाज होना। | ||
| | |अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना। | ||
अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना। | |||
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|127. [[काम से जाना]] | |127. [[काम से जाना]] | ||
| | |अर्थ - काम चौपट होना या हाथ से निकल जाना। | ||
अर्थ - काम चौपट होना या हाथ से निकल जाना। | |||
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| | |अर्थ - वस्तु को उपयोग या व्यवहार में लाना। | ||
अर्थ - वस्तु को उपयोग या व्यवहार में लाना। | |||
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|129. [[काम रहना]] | |129. [[काम रहना]] | ||
| | |अर्थ - प्रयोजन होना। | ||
अर्थ - प्रयोजन होना। | |||
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|130. [[काम रह जाना]] | |130. [[काम रह जाना]] | ||
| | |अर्थ - होता हुआ काम बीच में रुक जाना। | ||
अर्थ - होता हुआ काम बीच में रुक जाना। | |||
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| | |अर्थ - जीविका उपार्जन के लिए कहीं और जाना पड़ना। | ||
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| | |अर्थ - कार्य या व्यापार आरंभ करना। | ||
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| | |अर्थ - उपयोग में आना। | ||
अर्थ - उपयोग में आना। | |||
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| | |अर्थ - कार्य संपन्न होना, प्रयोजन सिद्ध होना। | ||
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| | |अर्थ - दुकान, कार्यालय, कारख़ाने आदि में जाकर अपना नियमित कार्य करना। | ||
अर्थ - दुकान, कार्यालय, कारख़ाने आदि में जाकर अपना नियमित कार्य करना। | |||
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| | |अर्थ - ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाना जिसमें किसी दूसरे से सहायता के लिए कहना पड़े अथवा कोई अनुरोध करना पड़े। | ||
अर्थ - ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाना जिसमें किसी दूसरे से सहायता के लिए कहना पड़े अथवा कोई अनुरोध करना पड़े। | |||
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कहावत लोकोक्ति मुहावरे | अर्थ |
---|---|
1- ककड़ी-खीरा समझना। | अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना। |
2- कच्चा चिट्ठा खोलना। | अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना। |
3- काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती। | अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं। |
4- कंगाली में आटा गीला। | अर्थ - नुक़सान पर नुक़सान होना। |
5- कंधे से कंधा छिलना। | अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है। |
6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो। | अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी। |
7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।। | अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फ़सल काटनी चाहिए। |
8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।। | अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- अर्थात् वह धान उपजता है। |
9- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। | अर्थ - एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है। |
10- कंगाली में आटा गीला। | अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना। |
11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती। | अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है। |
12- कचहरी का दरवाज़ा खुला है। | अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए। |
13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा। | अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना। |
14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी। | अर्थ - उलटी बात करना। |
15- क़ब्र में पाँव लटकाए बैठा है । | अर्थ - मरणासन्न । |
16- कभी दिन बड़े कभी रात। | अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते। |
17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर। | अर्थ - हालात बदलते रहते हैं। |
18- कमली ओढ़ने से फ़कीर नहीं होता। | अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते। |
19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती। | अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए। |
20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान | अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी। |
21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया। | अर्थ - |
22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े। | अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम ख़राब होता रहता है। |
23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम। | अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए। |
24- कर सेवा तो खा मेवा। | अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है। |
25- करे कोई भरे कोई। | अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे। |
26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला। | अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है। |
27- कल किसने देखा है। | अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है। |
28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है। | अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा। |
29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता। | अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता। |
30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय। | अर्थ - उच्च कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती। |
31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा। | अर्थ - बेमेल चीज़ें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना। |
32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है। | अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता। |
33- कहें खेत की, सुने खलिहान की। | अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया। |
34- काग़ज़ की नाव नहीं चलती। | अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती। |
35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय, एक लीक काजल की लगि है सो लागि है। | अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है। |
36- क़ाज़ी जी दुबले क्यों शहर के अंदेशे से। | अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना। |
37- काठ की हाँडी एक ही बार चढ़ती है। | अर्थ - धोखेबाज़ी हर बार नहीं चल सकती है। |
38- कान में तेल डाले बैठे हैं। | अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की ख़बर ही नहीं। |
39- काम का ना काज का , दुश्मन अनाज का। | अर्थ - निकम्मा आदमी। |
40- क़ाबुल में क्या गधे नहीं होते। | अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है। |
41- काम को काम सिखाता है। | अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है। |
42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान, काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक। | अर्थ - मृत्यु सब को आती है। |
43- काला अक्षर भैंस बराबर। | अर्थ - पढ़ा लिखा ना होना। |
44- काली के ब्याह को सौ जोखो। | अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं। |
45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान। | अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती। |
46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है। | अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात् नगण्य है। |
47- किसी का घर जले कोई तापे। | अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना। |
48- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना। | अर्थ - कंजूस होना। |
49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है। | अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है। |
50- कौए उड़ाना। | अर्थ - घटिया या छोटे काम करना। |
51- कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है। | अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है। |
52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी। | अर्थ - लाख प्रयत्न करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता। |
53- कुत्ते को घी नहीं पचता। | अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है। |
54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते। | अर्थ - महापुरुष नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं। |
55- कोल्हू का बैल। | अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला। |
56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय। | अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता। |
57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे। | अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता। |
58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत। | अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई ग़रीबी में भी संतुष्ट है। |
59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे। | अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, ग़रीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है। |
60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ। | अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है। |
61- कोयलों की दलाली में हाथ काले। | अर्थ - बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है। |
62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग़ की सैर। | अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया। |
63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं। | अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती। |
64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। | अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है। |
65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा। | अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है। |
66- का वर्षा जब कृषि सुखानी। | अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है। |
67- कच्ची गोली नहीं खेलना। | अर्थ - अनुभवहीन नहीं होना, पारंगत होना। |
68- कट जाना। | अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना। |
69- कटे पर नमक छिड़कना। | अर्थ - दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना। |
70- कढ़ी का सा उबाल। | अर्थ - मामूली से जोश में आना। |
71- क़दम उखड़ना। | अर्थ - भाग खड़े होना। |
72- कन्नी काटना। | अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना, किसी का सामना न करना, उससे दूर ही दूर रहना। |
73- कमर कसना। | अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना। |
74- कलम का धनी। | अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना। |
75- कलम तोड़ना। | अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना। |
76- कली खिलना। | अर्थ - बहुत खुश होना। |
77- कलेजा ठंडा होना। | अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना। |
78- कलेजा धक से रह जाना। | अर्थ - डर जाना, घबरा जाना। |
79- कलेजा मुँह को आना। | अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना। |
80- कलेजा का टुकड़ा। | अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना। |
81- कलेजे पर साँप लोटना। | अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना। |
82- कहा-सुनी होना। | अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना। |
83- काँटा दूर होना। | अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना। |
84- काँटे बिछाना। | अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना। |
85- काँटों पर लेटना। | अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना। |
86- काँटों पर घसीटना। | अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना। |
87- काग़ज़ी घोड़े दौड़ाना। | अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना। |
88- काजल की कोठरी। | अर्थ - कलंक लगने का स्थान। |
89- काठ का उल्लू। | अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना। |
90- काठ मार जाना। | अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना। |
91- कान कतरना। | अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना। |
92- कान खड़े होना। | अर्थ - चौकन्ना होना। |
93- कान खोलना। | अर्थ - सावधान कर देना। |
94- कान गरम करना। | अर्थ - पिटाई करना। |
95- कान देना। | अर्थ - ध्यान से सुनना। |
96- कान पकड़ना। | अर्थ - ग़लती मान लेना। |
97- कान पर जूँ तक न रेंगना। | अर्थ - कुछ भी परवाह न करना। |
98- कान भरना। | अर्थ - चुगली करना। |
99- कान में बात डाल देना। | अर्थ - सुना देना, कह देना। |
100- कान में तेल डालकर बैठना। | अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना। |
101- कान में फूँकना। | अर्थ - चुपचाप से कह देना। |
102- कान लगाना। | अर्थ - ध्यान देकर सुनना। |
103- काफ़ूर होना। | अर्थ - गायब हो जाना। |
104- कोर दबना। | अर्थ - दबाव में होना। |
105- काम तमाम करना। | अर्थ - मार डालना। |
106- काया पलट जाना। | अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना। |
107- काल कवलित होना। | अर्थ - मर जाना। |
108- काल के गाल में जाना। | अर्थ - मर जाना। |
109- काला नाग। | अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति । |
110- काला मुँह करना। | अर्थ - बदनामी करना, नाम ख़राब करना। |
111- काले कोसों। | अर्थ - बहुत दूर। |
112- किताबी कीड़ा होना। | अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना। |
113- किरकिरी हो जाना। | अर्थ - विघ्न पड़ना। |
114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा। | अर्थ - किसी भी काम का न होना। |
115- क़िस्मत फूटना। | अर्थ - बुरे दिन आना। |
116- कीचड़ उछालना। | अर्थ - निंदा करना। |
117- कुआँ खोदना। | अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना या किसी को फँसाने के लिए जाल रचना। |
118- कुएँ में गिरना। | अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना। |
119- कुएँ में भाँग पड़ना। | अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना। |
120- कुछ उठा न रखना। | अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना। |
121- कुत्ते की दुम। | अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना। |
122- कुत्ते की मौत मरना। | अर्थ - बुरी तरह मरना। |
123- कूच कर जाना। | अर्थ - चले जाना। |
124- कूप मंडूक होना। | अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना। |
125- कोई दम भर का मेहमान होना। | अर्थ - मरने के क़रीब होना। |
126- कोढ़ में खाज होना। | अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना। |
127. काम से जाना | अर्थ - काम चौपट होना या हाथ से निकल जाना। |
128. काम लेना | अर्थ - वस्तु को उपयोग या व्यवहार में लाना। |
129. काम रहना | अर्थ - प्रयोजन होना। |
130. काम रह जाना | अर्थ - होता हुआ काम बीच में रुक जाना। |
131. आबोदाना उठना | अर्थ - जीविका उपार्जन के लिए कहीं और जाना पड़ना। |
132. काम में हाथ डालना | अर्थ - कार्य या व्यापार आरंभ करना। |
133. काम में आना | अर्थ - उपयोग में आना। |
134. काम बनना | अर्थ - कार्य संपन्न होना, प्रयोजन सिद्ध होना। |
135. काम पर जाना | अर्थ - दुकान, कार्यालय, कारख़ाने आदि में जाकर अपना नियमित कार्य करना। |
136. काम पड़ना | अर्थ - ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाना जिसमें किसी दूसरे से सहायता के लिए कहना पड़े अथवा कोई अनुरोध करना पड़े। |
137. काम निकाल लेना | अर्थ - दूसरों से अपना काम करा लेना। |