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!कहावत लोकोक्ति मुहावरे
! style="width:30%"| कहावत लोकोक्ति मुहावरे
!अर्थ
!style="width:70%"| अर्थ
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| 1- ककड़ी-खीरा समझना।
1- काग घोंसला मारिये, मसि भींजत परिहार।<br />
| अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना।
जाट जरुरी मारिये , घुट्नन चलत खंगार॥
| style="width:70%"|
अर्थ - कौआ, परिहार, जाट और खंगार ये चारों चतुर और चालक दुश्मन होते हैं। अगर इनसे दुश्मनी हो जाए तो कौए को उसके घोंसले में, राजपूत को मूंछ निकलने से पहले , जाट को जब भी अवसर मिले और खंगार(जाति) को जब वह बच्चा हो,घुटनों चलता हो, तब ही मार देना चाहिए अन्यथा देर हो जाएगी।
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|2- कहे कबीर जमाना छानियाँ,<br />
| 2- कच्चा चिट्ठा खोलना।
भक्त ना देखे सुनार बानियाँ।
| अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना।
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अर्थ - कबीरदास जी कहते हैं कि पूरी दुनिया देख ली पर सुनार और बनिया लोग कभी भक्त नहीं होते।
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|3- काठ की हंडी बार बार नहीं चढ़ती।
| 3- काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती।
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| अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही  मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं।
अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही  मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं।
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|4- कंगाली में आटा गीला।
|4- कंगाली में आटा गीला।
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| अर्थ - नुक़सान पर नुक़सान होना।
अर्थ - नुकसान पर नुकसान होना।
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|5- कहने से कुम्हार गधे पर नहीं चढ़ता।
|5- कंधे से कंधा छिलना।
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| अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है।
अर्थ - स्वयं को अक्लमंद समझने वाला किसी को कुछ नहीं मानता।
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|6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो।
|6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो।
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| अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी।  
अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी।  
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|7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।।
|7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।।
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| अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फ़सल काटनी चाहिए।  
अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फ़सल काटनी चाहिए।  
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|8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।।
|8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।।
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| अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- अर्थात् वह धान उपजता है।
अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- अर्थात वह धान उपजता है।
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|9- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।
|9- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।
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| अर्थ - एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।
अर्थ - एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।
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|10- कंगाली में आटा गीला।
|10- कंगाली में आटा गीला।
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| अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना।
अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना।
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|11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती।
|11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती।
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| अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है।
अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है।
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|12- कचहरी का दरवाजा खुला है।
|12- कचहरी का दरवाज़ा खुला है।
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| अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए।
अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए।
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|13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा।
|13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा।
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| अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।
अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।
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|14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी।
|14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी।
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| अर्थ - उलटी बात करना।
अर्थ - उलटी बात करना।
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|15- क़ब्र में पाँव लटकाए बैठा है ।
|15- क़ब्र में पाँव लटकाए बैठा है ।
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| अर्थ - मरणासन्न ।
अर्थ - मरणासन्न ।
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|16- कभी  दिन बड़े कभी रात।
|16- कभी  दिन बड़े कभी रात।
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| अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते।
अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते।
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|17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर।
|17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर।
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| अर्थ - हालात बदलते रहते हैं।
अर्थ - हालात बदलते रहते हैं।
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|18- कमली ओढ़ने से फ़कीर नहीं होता।
|18- कमली ओढ़ने से फ़कीर नहीं होता।
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| अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते।
अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते।
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|19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती।
|19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती।
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| अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए।
अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए।
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|20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
|20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
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| अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी।
अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी।
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|21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया।
|21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया।
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|अर्थ -   
अर्थ -   
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|22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े।
|22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े।
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| अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम ख़राब होता रहता है।
अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम खराब होता रहता है।
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|23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम।
|23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम।
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| अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए।
अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए।
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|24- कर सेवा तो खा मेवा।
|24- कर सेवा तो खा मेवा।
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| अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है।
अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है।
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|25- करे कोई भरे कोई।
|25- करे कोई भरे कोई।
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| अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे।
अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे।
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|26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला।
|26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला।
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| अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है।
अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है।
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|27- कल किसने देखा है।
|27- कल किसने देखा है।
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| अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है।
अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है।
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|28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है।
|28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है।
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| अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा।
अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा।
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|29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता।
|29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता।
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| अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता।
अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता।
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|30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय।
|30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय।
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| अर्थ - उच्च  कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती।
अर्थ - उच्च  कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती।
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|31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा।
|31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा।
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| अर्थ - बेमेल चीज़ें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना।
अर्थ - बेमेल चीजें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना।
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|32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है।
|32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है।
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| अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता।
अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता।
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|33- कहें खेत की, सुने खलिहान की।
|33- कहें खेत की, सुने खलिहान की।
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| अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया।
अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया।
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|34-  कागज़ की नाव नहीं चलती।
|34-  काग़ज़ की नाव नहीं चलती।
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| अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती।
अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती।
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|35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय,<br />
|35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय, एक लीक काजल की लगि है सो लागि है।
एक लीक काजल की लगि है सो लागि है।
| अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है।
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अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है।
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|36- काज़ी जी दुबले क्यों  शहर के अंदेशे से।
|36- क़ाज़ी जी दुबले क्यों  शहर के अंदेशे से।
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| अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना।
अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना।
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|37- काठ की हाँडी एक  ही बार चढ़ती है।
|37- काठ की हाँडी एक  ही बार चढ़ती है।
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| अर्थ - धोखेबाज़ी हर बार नहीं चल सकती है।
अर्थ - धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती है।
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|38- कान में तेल डाले बैठे हैं।
|38- कान में तेल डाले बैठे हैं।
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| अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की ख़बर ही नहीं।
अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की ख़बर ही नहीं।
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|39- काम  का ना काज का , दुश्मन अनाज का।
|39- काम  का ना काज का , दुश्मन अनाज का।
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| अर्थ - निकम्मा  आदमी।
अर्थ - निकम्मा  आदमी।
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|40- क़ाबुल में क्या गधे नहीं होते।
|40- क़ाबुल में क्या गधे नहीं होते।
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| अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है।
अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है।
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|41- काम को काम सिखाता है।
|41- काम को काम सिखाता है।
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| अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है।
अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है।
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|42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान,<br />
|42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान, काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक।
काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक।
| अर्थ - मृत्यु सब को आती है।
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अर्थ - मृत्यु सब को आती है।
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|43- काला अक्षर भैंस बराबर।
|43- काला अक्षर भैंस बराबर।
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| अर्थ - पढ़ा  लिखा ना होना।
अर्थ - पढ़ा  लिखा ना होना।
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|44- काली के ब्याह को सौ जोखो।
|44- काली के ब्याह को सौ जोखो।
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| अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं।
अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं।
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|45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान।
|45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान।
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| अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती।
अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती।
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|46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है।
|46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है।
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| अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात् नगण्य है।
अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात नगण्य है।
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|47- किसी का घर जले कोई तापे।
|47- किसी का घर जले कोई तापे।
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| अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना।
अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना।
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|48- कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता।
|48- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना।
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| अर्थ - कंजूस होना।
अर्थ - कोई अपने माल को खराब नहीं बताता।
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|49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है।
|49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है।
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| अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है।
अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है।
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|50- कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे।
|50- कौए उड़ाना।
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| अर्थ - घटिया या छोटे काम करना।
अर्थ - जब रक्षक ही बेईमान हो जाए तो क्या रास्ता है ?
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|51-  कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है।
|51-  कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है।
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| अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है।
अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है।
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|52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी।
|52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी।
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| अर्थ - लाख प्रयत्न  करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता।
अर्थ - लाख प्रयत्न  करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता।
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|53- कुत्ते को घी नहीं पचता।
|53- कुत्ते को घी नहीं पचता।
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| अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है।
अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है।
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|54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते।
|54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते।
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| अर्थ - महापुरुष  नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं।
अर्थ - महापुरुष  नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं।
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|55- कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है।
|55- कोल्हू का बैल।
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| अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला।
अर्थ - हर कोई अपनी वस्तु की प्रशंसा करता है।
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|56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय।
|56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय।
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| अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता।
अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता।
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|57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे।
|57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे।
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| अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता।
अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता।
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|58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत।
|58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत।
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| अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई ग़रीबी में भी संतुष्ट है।
अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई ग़रीबी में भी संतुष्ट है।
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|59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे।
|59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे।
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| अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, ग़रीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है।
अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, ग़रीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है।
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|60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ।
|60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ।
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| अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है।  
अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है।  
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|61- कोयलों की दलाली में हाथ काले।
|61- कोयलों की दलाली में हाथ काले।
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| अर्थ -  बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है।
अर्थ -  बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है।
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|62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग़ की सैर।
|62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग़ की सैर।
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| अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया।  
अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया।  
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|63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं।
|63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं।
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| अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती।
अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती।
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|64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।
|64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल।
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| अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है।
अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है।
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|65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा।
|65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा।
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| अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।
अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।
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|66- का वर्षा जब कृषि सुखानी।
|66- का वर्षा जब कृषि सुखानी।
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| अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है।  
अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है।  
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|67- कच्ची गोली नहीं खेलना।
|67- कच्ची गोली नहीं खेलना।
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| अर्थ - अनुभवहीन नहीं होना, पारंगत होना।
अर्थ - अनुभवहीन नहीं होना, पारंगत होना।
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|68- कट जाना।
|68- कट जाना।
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| अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना।
अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना।
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|69- कटे पर नमक छिड़कना।
|69- कटे पर नमक छिड़कना।
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| अर्थ -  दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना।
अर्थ -  दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना।
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|70- कढ़ी का सा उबाल।
|70- कढ़ी का सा उबाल।
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| अर्थ - मामूली से जोश में आना।
अर्थ - मामूली से जोश में आना।
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|71- क़दम उखड़ना।
|71- क़दम उखड़ना।
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| अर्थ - भाग खड़े होना।  
अर्थ - भाग खड़े होना।  
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|72- कन्नी काटना।
|72- [[कन्नी काटना]]।
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| अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना, किसी का सामना न करना, उससे दूर ही दूर रहना।
अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना।
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|73- कमर कसना।
|73- कमर कसना।
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| अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना।  
अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना।  
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|74- कलम का धनी।
|74- कलम का धनी।
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| अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना।  
अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना।  
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|75- कलम तोड़ना।
|75- कलम तोड़ना।
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| अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना।  
अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना।  
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|76- कली खिलना।
|76- कली खिलना।
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| अर्थ - बहुत खुश होना।
अर्थ - बहुत खुश होना।
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|77- कलेजा ठंडा होना।
|77- कलेजा ठंडा होना।
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| अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना।  
अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना।  
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|78- कलेजा धक से रह जाना।
|78- कलेजा धक से रह जाना।
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| अर्थ - डर जाना, घबरा जाना।  
अर्थ - डर जाना, घबरा जाना।  
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|79- कलेजा मुँह को आना।
|79- कलेजा मुँह को आना।
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| अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना।  
अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना।  
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|80- कलेजा का टुकड़ा।
|80- कलेजा का टुकड़ा।
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| अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना।  
अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना।  
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|81- कलेजे पर साँप लोटना।
|81- कलेजे पर साँप लोटना।
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| अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना।  
अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना।  
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|82- कहा-सुनी होना।
|82- कहा-सुनी होना।
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| अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना।  
अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना।  
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|83- काँटा दूर होना।
|83- काँटा दूर होना।
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| अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना।  
अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना।  
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|84- काँटे बिछाना।
|84- काँटे बिछाना।
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| अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना।
अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना।
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|85- काँटों पर लेटना।
|85- काँटों पर लेटना।
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| अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना।  
अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना।  
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|86- काँटों पर घसीटना।
|86- काँटों पर घसीटना।
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| अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना।  
अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना।  
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|87- कागजी घोड़े दौड़ाना।
|87- काग़ज़ी घोड़े दौड़ाना।
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| अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना।  
अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना।  
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|88- काजल की कोठरी।
|88- काजल की कोठरी।
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| अर्थ - कलंक लगने का स्थान।  
अर्थ - कलंक लगने का स्थान।  
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|89- काठ का उल्लू।
|89- काठ का उल्लू।
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| अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना।  
अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना।  
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|90- काठ मार जाना।
|90- काठ मार जाना।
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| अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना।  
अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना।  
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|91- कान कतरना।
|91- कान कतरना।
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| अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना।  
अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना।  
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|92- कान खड़े होना।
|92- कान खड़े होना।
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| अर्थ -  चौकन्ना होना।  
अर्थ -  चौकन्ना होना।  
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|93- कान खोलना।
|93- कान खोलना।
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| अर्थ -  सावधान कर देना।
अर्थ -  सावधान कर देना।
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|94- कान गरम करना।
|94- कान गरम करना।
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| अर्थ - पिटाई करना।  
अर्थ - पिटाई करना।  
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|95- कान देना।
|95- कान देना।
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| अर्थ - ध्यान से सुनना।  
अर्थ - ध्यान से सुनना।  
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|96- कान पकड़ना।
|96- कान पकड़ना।
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| अर्थ -  ग़लती मान लेना।
अर्थ -  ग़लती मान लेना।
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|97- कान पर जूँ तक न रेंगना।
|97- कान पर जूँ तक न रेंगना।
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| अर्थ - कुछ भी परवाह न करना।  
अर्थ - कुछ भी परवाह न करना।  
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|98- कान भरना।
|98- कान भरना।
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| अर्थ - चुगली करना।  
अर्थ - चुगली करना।  
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|99- कान में बात डाल देना।
|99- कान में बात डाल देना।
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| अर्थ -  सुना देना, कह देना।  
अर्थ -  सुना देना, कह देना।  
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|100- कान में तेल डालकर बैठना।
|100- कान में तेल डालकर बैठना।
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| अर्थ -  सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना।  
अर्थ -  सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना।  
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|101- कान में फूँकना।
|101- कान में फूँकना।
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| अर्थ - चुपचाप से कह देना।  
अर्थ - चुपचाप से कह देना।  
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|102- कान लगाना।
|102- कान लगाना।
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| अर्थ - ध्यान देकर सुनना।  
अर्थ - ध्यान देकर सुनना।  
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|103- काफूर होना।
|103- काफ़ूर होना।
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|अर्थ - गायब हो जाना।
अर्थ - गायब हो जाना।
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|104- काम आना।
|104- कोर दबना।
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|अर्थ - दबाव में होना।
अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना।
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|105- काम तमाम करना।
|105- काम तमाम करना।
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|अर्थ -  मार डालना।   
अर्थ -  मार डालना।   
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|106- काया पलट जाना।
|106- काया पलट जाना।
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|अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना।
अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना।
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|107- काल कवलित होना।
|107- काल कवलित होना।
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|अर्थ -  मर जाना।  
अर्थ -  मर जाना।  
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|108- काल के गाल में जाना।
|108- काल के गाल में जाना।
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|अर्थ - मर जाना।  
अर्थ - मर जाना।  
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|109- काला नाग।
|109- काला नाग।
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|अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति ।  
अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति ।  
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|110- काला मुँह करना।
|110- काला मुँह करना।
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|अर्थ - बदनामी करना, नाम ख़राब करना।  
अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना।  
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|111- काले कोसों।
|111- काले कोसों।
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|अर्थ -  बहुत दूर।  
अर्थ -  बहुत दूर।  
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|112- क़िताबी कीड़ा होना।
|112- किताबी कीड़ा होना।
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|अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना।
अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना।
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|113- किरकिरी हो जाना।
|113- किरकिरी हो जाना।
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|अर्थ - विघ्न पड़ना।  
अर्थ - विघ्न पड़ना।  
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|114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा।
|114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा।
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|अर्थ - किसी भी काम का न होना।  
अर्थ - किसी भी काम का न होना।  
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|115- क़िस्मत फूटना।
|115- क़िस्मत फूटना।
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|अर्थ - बुरे दिन आना।  
अर्थ - बुरे दिन आना।  
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|116- कीचड़ उछालना।
|116- कीचड़ उछालना।
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|अर्थ -  निंदा करना।  
अर्थ -  निंदा करना।  
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|117- कुआँ खोदना।
|117- [[कुआँ खोदना]]।
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|अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना या किसी को फँसाने के लिए जाल रचना।
अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना।
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|118- कुएँ में गिरना।
|118- कुएँ में गिरना।
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|अर्थ -  विपत्ति में पड़ जाना।  
अर्थ -  विपत्ति में पड़ जाना।  
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|119- कुएँ में भाँग पड़ना।
|119- कुएँ में भाँग पड़ना।
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|अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना।  
अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना।  
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|120- कुछ उठा न रखना।
|120- कुछ उठा न रखना।
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|अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना।  
अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना।  
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|121- कुत्ते की दुम।
|121- कुत्ते की दुम।
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|अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना।
अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना।
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|122- कुत्ते की मौत मरना।
|122- कुत्ते की मौत मरना।
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|अर्थ -  बुरी तरह मरना।   
अर्थ -  बुरी तरह मरना।   
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|123- कूच कर जाना।
|123- कूच कर जाना।
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|अर्थ -  चले जाना।  
अर्थ -  चले जाना।  
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|124- कूप मंडूक होना।
|124- कूप मंडूक होना।
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|अर्थ -  सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना।
अर्थ -  सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना।
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|125- कोई दम भर का मेहमान होना।
|125- कोई दम भर का मेहमान होना।
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|अर्थ -  मरने के क़रीब होना।
अर्थ -  मरने के क़रीब होना।
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|126- कोढ़ में खाज होना।
|126- कोढ़ में खाज होना।
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|अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना।
अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना।  
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|127- कोर दबना।
|127. [[काम से जाना]]
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|अर्थ - काम चौपट होना या हाथ से निकल जाना।
अर्थ - दबाव में होना।
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|128- कोल्हू का बैल।
|128. [[काम लेना]]
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|अर्थ - वस्तु को उपयोग या व्यवहार में लाना।
अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला।
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|129- कौए उड़ाना।
|129. [[काम रहना]]
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|अर्थ - प्रयोजन होना।
अर्थ - घटिया या छोटे काम करना।
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|130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना।
|130. [[काम रह जाना]]
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|अर्थ - होता हुआ काम बीच में रुक जाना।
अर्थ - कंजूस होना।
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|131- कंधे से कंधा छिलना।
|131. [[आबोदाना उठना]]
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|अर्थ - जीविका उपार्जन के लिए कहीं और जाना पड़ना।
अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है।
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|132- ककड़ी-खीरा समझना।
|132. [[काम में हाथ डालना]]
|
|अर्थ - कार्य या व्यापार आरंभ करना।
अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना।
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|133- कच्चा चिट्ठा खोलना।
|133. [[काम में आना]]
|
|अर्थ - उपयोग में आना।
अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना।
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|134. [[काम बनना]]
|अर्थ - कार्य संपन्न होना, प्रयोजन सिद्ध होना।
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|135. [[काम पर जाना]]
|अर्थ - दुकान, कार्यालय, कारख़ाने आदि में जाकर अपना नियमित कार्य करना।
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|136. [[काम पड़ना]]
|अर्थ - ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाना जिसमें किसी दूसरे से सहायता के लिए कहना पड़े अथवा कोई अनुरोध करना पड़े।
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|137. [[काम निकाल लेना]]
|अर्थ - दूसरों से अपना काम करा लेना।
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[[Category:कहावत_लोकोक्ति_मुहावरे]]
[[Category:कहावत_लोकोक्ति_मुहावरे]]
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12:12, 20 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

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कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ
1- ककड़ी-खीरा समझना। अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना।
2- कच्चा चिट्ठा खोलना। अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना।
3- काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती। अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं।
4- कंगाली में आटा गीला। अर्थ - नुक़सान पर नुक़सान होना।
5- कंधे से कंधा छिलना। अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है।
6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो। अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी।
7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।। अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फ़सल काटनी चाहिए।
8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।। अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- अर्थात् वह धान उपजता है।
9- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। अर्थ - एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।
10- कंगाली में आटा गीला। अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना।
11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती। अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है।
12- कचहरी का दरवाज़ा खुला है। अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए।
13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा। अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।
14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी। अर्थ - उलटी बात करना।
15- क़ब्र में पाँव लटकाए बैठा है । अर्थ - मरणासन्न ।
16- कभी दिन बड़े कभी रात। अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते।
17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर। अर्थ - हालात बदलते रहते हैं।
18- कमली ओढ़ने से फ़कीर नहीं होता। अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते।
19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती। अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए।
20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी।
21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया। अर्थ -
22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े। अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम ख़राब होता रहता है।
23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम। अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए।
24- कर सेवा तो खा मेवा। अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है।
25- करे कोई भरे कोई। अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे।
26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला। अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है।
27- कल किसने देखा है। अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है।
28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है। अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा।
29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता। अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता।
30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय। अर्थ - उच्च कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती।
31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा। अर्थ - बेमेल चीज़ें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना।
32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है। अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता।
33- कहें खेत की, सुने खलिहान की। अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया।
34- काग़ज़ की नाव नहीं चलती। अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती।
35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय, एक लीक काजल की लगि है सो लागि है। अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है।
36- क़ाज़ी जी दुबले क्यों शहर के अंदेशे से। अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना।
37- काठ की हाँडी एक ही बार चढ़ती है। अर्थ - धोखेबाज़ी हर बार नहीं चल सकती है।
38- कान में तेल डाले बैठे हैं। अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की ख़बर ही नहीं।
39- काम का ना काज का , दुश्मन अनाज का। अर्थ - निकम्मा आदमी।
40- क़ाबुल में क्या गधे नहीं होते। अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है।
41- काम को काम सिखाता है। अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है।
42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान, काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक। अर्थ - मृत्यु सब को आती है।
43- काला अक्षर भैंस बराबर। अर्थ - पढ़ा लिखा ना होना।
44- काली के ब्याह को सौ जोखो। अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं।
45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान। अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती।
46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है। अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात् नगण्य है।
47- किसी का घर जले कोई तापे। अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना।
48- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना। अर्थ - कंजूस होना।
49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है। अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है।
50- कौए उड़ाना। अर्थ - घटिया या छोटे काम करना।
51- कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है। अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है।
52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी। अर्थ - लाख प्रयत्न करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता।
53- कुत्ते को घी नहीं पचता। अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है।
54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते। अर्थ - महापुरुष नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं।
55- कोल्हू का बैल। अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला।
56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय। अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता।
57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे। अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता।
58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत। अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई ग़रीबी में भी संतुष्ट है।
59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे। अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, ग़रीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है।
60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ। अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है।
61- कोयलों की दलाली में हाथ काले। अर्थ - बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है।
62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग़ की सैर। अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया।
63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं। अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती।
64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है।
65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा। अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।
66- का वर्षा जब कृषि सुखानी। अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है।
67- कच्ची गोली नहीं खेलना। अर्थ - अनुभवहीन नहीं होना, पारंगत होना।
68- कट जाना। अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना।
69- कटे पर नमक छिड़कना। अर्थ - दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना।
70- कढ़ी का सा उबाल। अर्थ - मामूली से जोश में आना।
71- क़दम उखड़ना। अर्थ - भाग खड़े होना।
72- कन्नी काटना अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना, किसी का सामना न करना, उससे दूर ही दूर रहना।
73- कमर कसना। अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना।
74- कलम का धनी। अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना।
75- कलम तोड़ना। अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना।
76- कली खिलना। अर्थ - बहुत खुश होना।
77- कलेजा ठंडा होना। अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना।
78- कलेजा धक से रह जाना। अर्थ - डर जाना, घबरा जाना।
79- कलेजा मुँह को आना। अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना।
80- कलेजा का टुकड़ा। अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना।
81- कलेजे पर साँप लोटना। अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना।
82- कहा-सुनी होना। अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना।
83- काँटा दूर होना। अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना।
84- काँटे बिछाना। अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना।
85- काँटों पर लेटना। अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना।
86- काँटों पर घसीटना। अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना।
87- काग़ज़ी घोड़े दौड़ाना। अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना।
88- काजल की कोठरी। अर्थ - कलंक लगने का स्थान।
89- काठ का उल्लू। अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना।
90- काठ मार जाना। अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना।
91- कान कतरना। अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना।
92- कान खड़े होना। अर्थ - चौकन्ना होना।
93- कान खोलना। अर्थ - सावधान कर देना।
94- कान गरम करना। अर्थ - पिटाई करना।
95- कान देना। अर्थ - ध्यान से सुनना।
96- कान पकड़ना। अर्थ - ग़लती मान लेना।
97- कान पर जूँ तक न रेंगना। अर्थ - कुछ भी परवाह न करना।
98- कान भरना। अर्थ - चुगली करना।
99- कान में बात डाल देना। अर्थ - सुना देना, कह देना।
100- कान में तेल डालकर बैठना। अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना।
101- कान में फूँकना। अर्थ - चुपचाप से कह देना।
102- कान लगाना। अर्थ - ध्यान देकर सुनना।
103- काफ़ूर होना। अर्थ - गायब हो जाना।
104- कोर दबना। अर्थ - दबाव में होना।
105- काम तमाम करना। अर्थ - मार डालना।
106- काया पलट जाना। अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना।
107- काल कवलित होना। अर्थ - मर जाना।
108- काल के गाल में जाना। अर्थ - मर जाना।
109- काला नाग। अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति ।
110- काला मुँह करना। अर्थ - बदनामी करना, नाम ख़राब करना।
111- काले कोसों। अर्थ - बहुत दूर।
112- किताबी कीड़ा होना। अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना।
113- किरकिरी हो जाना। अर्थ - विघ्न पड़ना।
114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा। अर्थ - किसी भी काम का न होना।
115- क़िस्मत फूटना। अर्थ - बुरे दिन आना।
116- कीचड़ उछालना। अर्थ - निंदा करना।
117- कुआँ खोदना अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना या किसी को फँसाने के लिए जाल रचना।
118- कुएँ में गिरना। अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना।
119- कुएँ में भाँग पड़ना। अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना।
120- कुछ उठा न रखना। अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना।
121- कुत्ते की दुम। अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना।
122- कुत्ते की मौत मरना। अर्थ - बुरी तरह मरना।
123- कूच कर जाना। अर्थ - चले जाना।
124- कूप मंडूक होना। अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना।
125- कोई दम भर का मेहमान होना। अर्थ - मरने के क़रीब होना।
126- कोढ़ में खाज होना। अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना।
127. काम से जाना अर्थ - काम चौपट होना या हाथ से निकल जाना।
128. काम लेना अर्थ - वस्तु को उपयोग या व्यवहार में लाना।
129. काम रहना अर्थ - प्रयोजन होना।
130. काम रह जाना अर्थ - होता हुआ काम बीच में रुक जाना।
131. आबोदाना उठना अर्थ - जीविका उपार्जन के लिए कहीं और जाना पड़ना।
132. काम में हाथ डालना अर्थ - कार्य या व्यापार आरंभ करना।
133. काम में आना अर्थ - उपयोग में आना।
134. काम बनना अर्थ - कार्य संपन्न होना, प्रयोजन सिद्ध होना।
135. काम पर जाना अर्थ - दुकान, कार्यालय, कारख़ाने आदि में जाकर अपना नियमित कार्य करना।
136. काम पड़ना अर्थ - ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाना जिसमें किसी दूसरे से सहायता के लिए कहना पड़े अथवा कोई अनुरोध करना पड़े।
137. काम निकाल लेना अर्थ - दूसरों से अपना काम करा लेना।