मुँह की मक्खियाँ तक न उड़ा सकना

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मुँह की मक्खियाँ तक न उड़ा सकना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- बहुत ही आशक्त या आलसी होना।

प्रयोग- आकाश इतना आलसी है कि वह अपने मुँह की मक्खियाँ तक नहीं उड़ा सकता हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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