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!कहावत लोकोक्ति मुहावरे
! style="width:30%"| कहावत लोकोक्ति मुहावरे
!अर्थ
! style="width:70%"| अर्थ
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| 1- [[अजगर करे ना चाकरी|अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम]], दास मलूका कह गए सब के दाता राम ..।
1- अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम,<br />
| अर्थ -  अजगर को किसी की नौकरी नहीं करनी होती और पक्षी को भी कोई काम नहीं करना होता, ईश्वर ही सबका पालनहार है, इसलिए कोई भी काम मत करो ईश्वर स्वयं देगा। आलसी लोगों के लिए श्री मलूकदास जी का ये कथन बहुत ही उचित है !  
दास मलूका कह गए सब के दाता राम ..।
| style="width:70%"|
अर्थ -  अजगर को किसी की नौकरी नहीं करनी होती और पक्षी को भी कोई काम नहीं करना होता, ईश्वर ही सबका पालनहार है, इसलिए कोई भी काम मत करो ईश्वर स्वयं देगा। आलसी लोगों के लिए श्री मलूकदास जी का ये कथन बहुत ही उचित है !  
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|2- असाढ़ जोतो लड़के ढार, सावन भादों हरवा है<br />
|2- असाढ़ जोतो लड़के ढार, सावन भादों हरवा है। क्वार जोतो घर का बैल, तब ऊंचे उनहारे।।
क्वार जोतो घर का बैल, तब ऊंचे उनहारे।
| अर्थ -किसान को आषाढ माह में साधारण जुताई करनी चाहिए, सावन भादों में अधिक, परन्तु क्वार में बहुत अधिक जुताई करें कि दिन-रात का ध्यान ना रहे, तभी अच्छी और ज़्यादा उपज होगी।
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अर्थ -किसान को आषाढ माह में साधारण जुताई करनी चाहिए, सावन भादों में अधिक, परन्तु क्वार में बहुत अधिक जुताई करें कि दिन-रात का ध्यान ना रहे, तभी अच्छी और ज़्यादा उपज होगी।
|3- [[अधजल गगरी छलकत जाय]]।
| अर्थ - जो व्यक्ति बहुत कम जानता है, वह विद्वान् ही होने का दिखावा ज़्यादा करता है।
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|3- अधजल गगरी छलकत जाय।
|4- अति ऊँचे भू-धारन पर भुजगन के स्थान।। तुलसी अति नीचे सुखद उंख अन्न असपान।।
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| अर्थ - [[तुलसीदास]] जी कहते हैं कि, खेती ऐसे ऊँचे स्थानों पर करनी चाहिए, जहाँ पर साँप रहते हों, पहाड़ों के ढाल पर उंख हो, वहीं पर अन्न और पान की अच्छी फ़सल होती है।  
अर्थ - जो व्यक्ति बहुत कम जानता, वह विद्वान ही होने का दिखावा ज़्यादा करता है।
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|4- अति ऊंचे भू-धारन पर भुजगन के स्थान<br />
|5- अद्रा भद्रा कृत्तिका, अद्र रेख जु मघाहि।।  चँदा ऊगै दूज को सुख से नरा अघाहि।।
तुलसी अति नीचे सुखद उंख अन्न असपान।
| अर्थ - यदि द्वितीया का चन्द्रमा, आर्द्रा नक्षत्र, कृत्तिका, श्लेषा या मघा में अथवा भद्रा में उगे तो मनुष्य सुखी रहते हैं।
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अर्थ - तुलसीदास जी कहते हैं कि खेती ऐसे ऊंचे स्थानों पर करनी चाहिए जहां पर सांप रहते हों, पहाड़ों के ढाल पर उंख हो, वहीं पर अन्न और पान की अच्छी फ़सल होती है।
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|5- असाढ़ जोतो लड़के ढार, सावन भादों हरवा है<br />
|6- अखै तीज तिथि के दिना, गुरु होवे संजूत।। तो भाखैं यों भड्डरी, उपजै नाज बहूत।।
क्वार जोतो घर का बैल, तब ऊंचे उनहारे।
| अर्थ - अगर वैशाख में अक्षय तृतीया को गुरुवार पड़े तो ख़ूब अन्न पैदा होगा।
|
अर्थ -किसान को आषाढ माह में साधारण जुताई करनी चाहिए, सावन भादों में अधिक, परन्तु क्वार में बहुत अधिक जुताई करें कि दिन-रात का ध्यान ना रहे, तभी अच्छी और ज़्यादा उपज होगी।
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|6- अद्रा भद्रा कृत्तिका, अद्र रेख जु मघाहि।<br />
|7- असुनी नलिया अन्त विनासै। गली रेवती जल को नासै।। भरनी नासै तृनौ सहूतो। कृतिका बरसै अन्त बहूतो।।
चंदा ऊगै दूज को सुख से नरा अघाहि।।
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अर्थ - यदि द्वितीया का चन्द्रमा, आर्द्रा नक्षत्र, कृत्तिका, श्लेषा या मघा में अथवा भद्रा में उगे तो मनुष्य सुखी रहते हैं।
अर्थ - अगर चैत माह में अश्विनी नक्षत्र में बारिश हो तो, वर्षा ऋतु के अन्त में झुरा पड़ेगा; रेतवी नक्षत्र बरसे तो वर्षा नाम मात्र की होगी; भरणी नक्षत्र बरसे तो घास भी सूख जाएगी और कृतिका नक्षत्र बरसे तो अच्छी वर्षा होगी।
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|7- अखै तीज तिथि के दिना, गुरु होवे संजूत।<br />
|8- असाढ़ मास आठें अंधियारी। जो निकले बादर जल धारी।। चन्दा निकले बादर फोड़। साढ़े तीन मास वर्षा का जोग।।
तो भाखैं यों भड्डरी, उपजै नाज बहूत।।
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अर्थ - अगर वैशाख में अक्षय तृतीया को गुरुवार पड़े तो ख़ूब अन्न पैदा होगा।
अर्थ - अगर आषाढ़ माह की अष्टमी को अन्धकार छाया हुआ हो, और चन्द्रमा बादलों से निकले तो बहुत आनन्ददायी वर्षा होगी और पृथ्वी पर आनन्द की बारिश सी होगी।
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|8- असुनी नलिया अन्त विनासै।गली रेवती जल को नासै।।<br />
|9- असाढ़ मास पूनो दिवस, बादल घेरे चन्द्र। तो भड्डरी जोसी कहैं, होवे परम अनन्द।।
भरनी नासै तृनौ सहूतो।कृतिका बरसै अन्त बहूतो।।
| अर्थ - अगर आषाढ़ माह की पूर्णिमा को चन्द्रमा बादलों से ढ़का रहे, तो भड्डरी ज्योतिषी कहते हैं कि उस वर्ष आनन्द ही आनन्द रहेगा।
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अर्थ - अगर चैत माह में अश्विनी नक्षत्र में बारिश हो तो वर्षा ऋतु के अन्त में झुरा पड़ेगा; रेतवी नक्षत्र बरसे तो वर्षा नाम मात्र की होगी;  भरणी नक्षत्र बरसे तो घास भी सूख जाएगी और कृतिका नक्षत्र बरसे तो अच्छी वर्षा होगी।
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|9- असाढ़ मास आठें अंधियारी।जो निकले बादर जल धारी।।<br />
|10- अबे-तबे करना।
चन्दा निकले बादर फोड़।साढ़े तीन मास वर्षा का जोग।।
| अर्थ - आदर से न बोलना।
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अर्थ - अगर आषाढ़ माह की अष्टमी को अन्धकार छाया हुआ हो और चन्द्रमा बादलों से निकले तो बहुत आनन्ददायी वर्षा होगी और पृथ्वी पर आनन्द की बारिश सी होगी।
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|10- असाढ़ मास पूनो दिवस, बादल घेरे चन्द्र।<br />
|11- [[अंधों का हाथी]]
तो भड्डरी जोसी कहैं, होवे परम अनन्द।।
| अर्थ -किसी विषय का पूर्ण ज्ञान ना होना।
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अर्थ - अगर आषाढ़ माह की पूर्णिमा को चन्द्रमा बादलों से ढ़का रहे तो भड्डरी ज्योतिषी कहते हैं कि उस वर्ष आनन्द ही आनन्द रहेगा।
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|11- अंधा बाँटे रेवड़ी (शीरनी), फिर-फिर अपनों को दे।
|12- अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनाना।
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| अर्थ - अपनी बड़ाई आप ही करना।
अर्थ - अपने अधिकार का लाभ सिर्फ अपनों को ही पहुँचाना।
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|12- अधजल गगरी छलकत जाए।
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अर्थ - ओछा आदमी थोड़ा सा ही गुण और धन होने पर इतराने लगता है्।
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|13- अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत।
|13- अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत।
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अर्थ - समय रहते काम ना करना और नुकसान हो जाने के बाद पछताना। जिससे कोई लाभ नहीं होता है।  
अर्थ - समय रहते काम ना करना और नुक़सान हो जाने के बाद पछताना। जिससे कोई लाभ नहीं होता है।  
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|14- अंडा सिखावे बच्चे को चीं-चीं मत क…
|14- अंडा सिखावे बच्चे को चीं-चीं मत क…
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|16-अंडे होंगे तो बच्चे बहुतेरे हो जाएंगे।
|16-अंडे होंगे तो बच्चे बहुतेरे हो जाएंगे।
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अर्थ - मूल वस्तु प्राप्य रहेगी तो उससे बनने वाली वस्तुएँ तो निश्चित ही प्राप्त होती रहेंगी।
अर्थ - मूल वस्तु प्राप्य रहेगी तो उससे बनने वाली वस्तुएँ तो निश्चित ही प्राप्त होती रहेंगी।
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|17- अंत भला तो सब भला।
|17- अंत भला तो सब भला।
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अर्थ -  परिणाम अच्छा हो जाए तो सभी कुछ अच्छा मान लिया जाता है।
अर्थ -  परिणाम अच्छा हो जाए, तो सभी कुछ अच्छा मान लिया जाता है।
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|18-अंधा क्या चाहे, दो आँखें।
|18- अंत भले का भला।
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अर्थ - आवश्यक वस्तु की चाह सभी को होती है।
अर्थ - दूसरों की भलाई करने से अपना भी भला हो जाता है।
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|19- अंधा क्या जाने बसंत बहार।
|19- अढ़ाई दिन की बादशाहत।
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अर्थ - जिसको दिखायी नहीं देता वह किसी दृश्य का आनंद कैसे ले सकता है। जो वस्तु नहीं देखी, उसका आनंद कैसे लिया जा सकता है।
अर्थ - थोड़े दिन की शान-शौक़त।
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|20- अंधा पीसे कुत्ता‍ खाए।
|20- [[अधर में लटकना|अधर में लटकना या झूलना]]।
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अर्थ - एक की मजबूरी से दूसरे को लाभ हो जाता है। व्यक्ति की ना जानकारी से कोई भी लाभ उठा सकता है।
अर्थ - द्विविधा में पड़ा रह जाना।
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|21- अंधा बगुला कीचड़ खाए।
|21- अन्‍न जल उठ जाना।
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अर्थ - अभागा व्यक्ति सुख से वंचित रह जाता है्।
अर्थ - किसी जगह से चले जाना।
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|22- अंधा राजा चौपट नगरी।
|22- अन्‍न न लगना।
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अर्थ - घर का मुखिया ही मूर्ख और लापरवाह हो तो घर उजड़ ही जाता है।
अर्थ - खा-पीकर भी मोटा न होना।
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|23- अंधा सिपाही कानी घोड़ी,<br />
|23- अपना-अपना राग अलापना।
विधि ने ख़ूब मिलाई जोड़ी।
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अर्थ - दोनों साथियों में एक जैसे ही अवगुण होना।
अर्थ - अपनी ही बातें कहना।
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|24-   अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पंडित।
|24- अपना उल्‍लू सीधा करना।
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अर्थ - दो मूर्ख परस्पर  सहायता करें तो  किसी का भी लाभ नहीं होता है।
अर्थ - अपना मतलब निकालना।
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|25- अंधे की लकड़ी।
|25- अपना सा मुँह लेकर रह जाना।
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अर्थ - किसी बेसहारे का सहारा होना।
अर्थ - लज्जित होना।  
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|26- अंधे के आगे रोना, अपना दीदा खोना।
|26- अपनी खाल में मस्‍त रहना।
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अर्थ - अंधे के सामने रोने से अपनी ही आँखें खराब होती हैं, जिसको आपसे सहानुभूति नहीं है उसके सामने अपना दुखड़ा रोना बेकार है।
अर्थ - अपनी दशा से संतुष्‍ट रहना।
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|27- अंधे के हाथ बटेर।
|27- अपनी खिचड़ी अलग पकाना।
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अर्थ - अनायास ही कोई वस्तु या सफलता मिल जाना।
अर्थ - अलग-थलग रहना।
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|28- अंत भले का भला।
|28- अपने पांव पर आप कुल्‍हाड़ी मारना।
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अर्थ - दूसरों की भलाई करने से अपना भी भला हो जाता है।
अर्थ - अपना अहित स्वयं करना।
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|29- अंधे को अंधा कहने से बुरा लगता है।
|29- अपने पैरों पर खड़ा होना/अपने पाँव (पर) खड़ा होना
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अर्थ - कटु वचन सत्य  होने पर भी बुरा लग जाता है।
अर्थ - अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धन कमाने में समर्थ होना, स्‍वावलंबी होना, अपने पैरों पर खड़ा होना
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|30- अंधे को अँधेरे में बड़े दूर की सूझी।
|30- अपने में न होना।
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अर्थ -  जब कोई मूर्ख दूरदर्शिता की बात कहे या करे (व्यंग्य)
अर्थ -  होश में न होना।
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|31- अंधेर नगरी चौपट राजा, <br />
|31- अंधेर नगरी चौपट राजा, <br />
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|33- अकेला हँसता भला न रोता भला।
|33- अकेला हँसता भला न रोता भला।
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अर्थ - सुख दु:ख में साथी की आवश्यता पड़ती है, व्यक्ति ना अकेला रो सकता है और ना ही अकेला हँस सकता है।
अर्थ - सुख-दु:ख में साथी की आवश्यता पड़ती है, व्यक्ति ना अकेला रो सकता है और ना ही अकेला हँस सकता है।
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|34- अक्ल बड़ी या भैंस।
|34- अक्ल बड़ी या भैंस।
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अर्थ -  शारीरिक शक्ति का महत्व कम होता है, बुद्धि का अधिक।
अर्थ -  शारीरिक शक्ति का महत्त्व कम होता है, बुद्धि का अधिक।
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|35- अच्छी मति जो चाहो, बूढ़े पूछन जाओ।
|35- अच्छी मति जो चाहो, बूढ़े पूछन जाओ।
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अर्थ - बड़े–बूढ़ों की सलाह से कार्य सिद्ध हो जाते हैं क्योंकि उनका अनुभव काम आता है।
अर्थ - बड़े–बूढ़ों की सलाह से कार्य सिद्ध हो जाते हैं, क्योंकि उनका अनुभव काम आता है।
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|36- अब के बनिया देय उधार।
|36- अब के बनिया देय उधार।
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अर्थ - अपनी ज़रुरत आ पड़ती तो आदमी सब कुछ मान जाता है, हर शर्त स्वीकार कर लेता है।
अर्थ - अपनी ज़रुरत आ पड़ती है, तो आदमी सब कुछ मान जाता है, हर शर्त स्वीकार कर लेता है।
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|37- अटकेगा सो भटकेगा।
|37- अटकेगा सो भटकेगा।
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अर्थ -  दुविधा या सोच–विचार में पड़ जाते हैं तो काम अधूरा ही रह जाता है।  
अर्थ -  दुविधा या सोच–विचार में पड़ जाते हैं, तो काम अधूरा ही रह जाता है।  
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|38- अढ़ाई हाथ की लकड़ी, नौ हाथ का बीज।
|38- अढ़ाई हाथ की लकड़ी, नौ हाथ का बीज।
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अर्थ - मूर्ख और ज्ञानी हमेशा सुखी रहते हैं।
अर्थ - मूर्ख और ज्ञानी हमेशा सुखी रहते हैं।
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|40- अपना-अपना कमाना,अपना-अपना खाना।
|40- अपना-अपना कमाना, अपना-अपना खाना।
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अर्थ -  किसी के साथ साझा करना अच्छा नहीं होता।
अर्थ -  किसी के साथ साझा करना अच्छा नहीं होता।
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|41- अपना ढेंढर देखे नही, दूसरे की फुल्ली निहारे।
|41- अपना ढेंढर देखे नही, दूसरे की फुल्ली निहारे।
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अर्थ - अपने ढ़ेर सारे दुर्गण दिखायी नहीं देते हैं और दूसरे के अवगुण की चर्चा करना।
अर्थ - अपने ढ़ेर सारे दुर्गण दिखायी नहीं देते हैं, और दूसरे के अवगुण की चर्चा करना।
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|42- अपना मकान कोट (क़िले) समान।
|42- अपना मकान कोट (क़िले) समान।
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अर्थ - अपने घर में जो सुख होता है वह बाहर कहीं नहीं होता है।
अर्थ - अपने घर में जो सुख होता है, वह बाहर कहीं नहीं होता है।
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|43- अपना रख पराया चख।
|43- अपना रख पराया चख।
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|45- अपना ही पैसा खोया तो परखने वाले का क्या  दोष।
|45- अपना ही पैसा खोया तो परखने वाले का क्या  दोष।
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अर्थ -  अपना ही सामान खराब हो तो दूसरों को दोष देना सही नहीं होता है।
अर्थ -  अपना ही सामान ख़राब हो तो दूसरों को दोष देना सही नहीं होता है।
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|46- अपनी–अपनी खाल में सब मस्त।
|46- अपनी–अपनी खाल में सब मस्त।
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अर्थ - व्यक्ति अपनी परिस्थिति से सतुष्ट रहे, शिकायत ना करे।
अर्थ - व्यक्ति अपनी परिस्थिति से सतुष्ट रहे, शिकायत ना करे।
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|47- अपनी-अपनी तुनतुनी (ढफली), अपना-अपना राग।
|47- अपनी-अपनी तुनतुनी (ढफली), अपना-अपना राग।
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|52- अपनी गाँठ पैसा तो, पराया आसरा कैसा।
|52- अपनी गाँठ पैसा तो, पराया आसरा कैसा।
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अर्थ - आदमी स्वयं समर्थ हो तो किसी दूसरे पर आश्रित क्यों रहेगा।
अर्थ - आदमी स्वयं समर्थ हो तो किसी दूसरे पर आश्रित क्यों रहेगा।
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|53- अपनी चिलम भरने को मेरा झोपड़ा जलाते हो।
|53- अपनी चिलम भरने को मेरा झोपड़ा जलाते हो।
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|57- अपनी नाक कटे तो कटे दूसरों का सगुन तो बिगड़े।
|57- अपनी नाक कटे तो कटे दूसरों का सगुन तो बिगड़े।
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अर्थ - दुष्ट लोग दूसरों का नुकसान करते ही हैं, भले ही उनका अपना भी कितना ही नुकसान हो जाए।
अर्थ - दुष्ट लोग दूसरों का नुक़सान करते ही हैं, भले ही उनका अपना भी कितना ही नुक़सान हो जाए।
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|58- अपनी पगड़ी अपने हाथ,
|58- अपनी पगड़ी अपने हाथ,
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|61- अपने पूत को कोई काना नहीं कहता।
|61- अपने पूत को कोई काना नहीं कहता।
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अर्थ - अपनी खराब चीज़ को भी कोई खराब नहीं कहता है।
अर्थ - अपनी ख़राब चीज़ को भी कोई ख़राब नहीं कहता है।
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|62- अपने मुँह मिया मिट्ठू बनाना।
|62- अपने मुँह मिया मिट्ठू बनाना।
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|66- अभी दिल्ली दूर है।
|66- अभी दिल्ली दूर है।
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अर्थ - अभी कसर बाकी है,अभी काम पूरा नहीं हुआ।
अर्थ - अभी कसर बाकी है, अभी काम पूरा नहीं हुआ।
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|67- अमरी की जान प्यारी, ग़रीब को दम भारी।
|67- अमरी की जान प्यारी, ग़रीब को दम भारी।
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अर्थ - ग़रीब की जान के लाले पड़े हैं।
अर्थ - ग़रीब की जान के लाले पड़े हैं।
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|68- अरहर की टट्टी, गुजराती ताला।
|68- अरहर की टट्टिया, गुजराती ताला।
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अर्थ -  मामूली वस्तु की रक्षा के लिए इतना बड़ा इन्तज़ाम ।
अर्थ -  मामूली वस्तु की रक्षा के लिए इतना बड़ा इन्तज़ाम।
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|69- अलख पुरुष की माया, कहीं धूप कहीं छाया।
|69- अलख पुरुष की माया, कहीं धूप कहीं छाया।
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|70- अशर्फ़ियाँ लुटें और कोयलों पर मोहर।
|70- अशर्फ़ियाँ लुटें और कोयलों पर मोहर।
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|
अर्थ - मूल्यवान वस्तु भले ही दे दें पर छोटी-छोटी चीज़ों को बचा-बचा कर रखने की आदत।
अर्थ - मूल्यवान वस्तु भले ही दे दें, पर छोटी-छोटी चीज़ों को बचा-बचा कर रखने की आदत।
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|71- अक्‍ल का अंधा।
|71- अब तब करना।
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अर्थ - मूर्ख।
अर्थ - टाल देना।
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|72- अक्‍ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना।
|72- अक्‍ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना।
पंक्ति 306: पंक्ति 284:
अर्थ - मूर्खता का काम करना।   
अर्थ - मूर्खता का काम करना।   
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|73- अक्‍ल पर पत्‍थर / परदा पड़ना।   
|73- अक्‍ल पर पत्‍थर/परदा पड़ना।   
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|
अर्थ - समझ न रहना।  
अर्थ - समझ न रहना।  
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|74- अगर-मगर करना।
|74- [[अगर-मगर करना]]
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अर्थ - बहाना करना।
अर्थ - बहाना करना, हीला-हवाली करना।
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|75- अटकलें भिड़ाना।
|75- अटकलें भिड़ाना।
पंक्ति 328: पंक्ति 306:
|78- अड्डे पर चहकना।
|78- अड्डे पर चहकना।
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|
अर्थ - अपने घर पर रोब दिखाना ।  
अर्थ - अपने घर पर रोब दिखाना।  
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|-
|79- अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना।
|79- अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना।
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अर्थ - सब से अलग सोच–विचार रखना।  
अर्थ - सब से अलग सोच–विचार रखना।  
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|-
|80- अढ़ाई दिन की बादशाहत।
|80-[[अक्ल का पूरा]]
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अर्थ - बिल्कुल बुद्‍धू, परम मूर्ख।
|-
|81-[[अक्ल के घोड़े दौड़ना]]
|
अर्थ -  हवाई योजनाएँ बनाना।
|-
|82-[[अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना]]
|
|
अर्थ - थोड़े दिन की शान-शौकत।
अर्थ - सदा मूर्खतापूर्ण बातें या काम करते रहना।
|-
|-
|81- अधर में लटकना या झूलना।
|83-[[अक्ल खुल जाना]]
|
|
अर्थ - द्विविधा में पड़ा रह जाना।  
अर्थ - समझदारी की बातें करने लगना।
|-
|84-[[अक्ल गुम होना|अक्ल गुम होना/हो जाना]]
|
अर्थ - बुद्धि मारी जाना, उचित कर्तव्य न सूझना।
|-
|85-[[अक्ल चरने जाना|अक्ल चरने (चली) जाना]]
|
अर्थ - समय पर अक्ल का ठीक से काम न करना।
|-
|86-[[अक्ल ठिकाने न होना]]
|
अर्थ - आवेश, क्रोध आदि के कारण बुद्धि का यथायोग्य काम करने में असमर्थ होना।
|-
|87-[[अक्ल ठिकाने आना|अक्ल ठिकाने आना/ लगाना]]
|
अर्थ - क्षति, हानि, अपमान आदि होने पर अपनी ग़लती समझ में आना, ग़लत काम करने वाले को दंड देना।
|-
|88-[[अपने मन की करना|अपने मन की करना/अपने मन का होना/अपनी चलाना]]
|
अर्थ - मनमानी करना, जो मन में आए वही करना, अपने मन की करना या अपना हुकुम चलाना, दूसरे की न सुनना।,
|-
|89- [[अपनी जान की पड़ना]]
|
अर्थ - आत्मरक्षा की फ़िक्र लगना, बच निकलने की सोचने लगना।
|-
|90- [[अपनी जान से हाथ धोना]]
|
अर्थ - जान देना,मरना
|-
|91-[[अपनी जेब से देना]]
|
अर्थ - अपनी रकम देना।
|-
|92- [[अपनी तरफ़ देखना|अपनी तरफ़ देखना/देख लेना]]
|
अर्थ - स्वयं अपनी औकात या सामर्थ्य आँकना या अपनी करनी पर विचार करना।
|-
|93- [[अपनी दुनिया अलग बसाना]]
|
अर्थ - अपनों से दूर जाकर गृहस्थी बसाकर रहना।
|-
|94- [[अपनी पर आ जाना]]
|
अर्थ - ठान लेना।
|-
|95- [[अपनी बला से]]
|
अर्थ - कुछ फ़र्क नहीं पड़ता
|-
|96- [[अपनी बात ऊपर रखना]]
|
अर्थ - अपने कथन को ही महत्व देना और दूसरों के कथन को न मानना।
|-
|97- अक्ल से मतलब न होना
|
अर्थ - मूर्खतापूर्ण आचरण करना।
|-
|98- अक्ल देना
|
अर्थ - किसी को कोई समझदारी की बात बतलाना
|-
|99- अक्ल दौड़ाना
|
अर्थ - खूब सोच-विचार करना।
|-
|100- अक्ल पर पत्थर पड़ना।
|
अर्थ - बुद्धि का भ्रष्ट होना; फलता, व्यक्ति का उलटा-पुलटा काम करना।
|-
|101- अक्ल पर पर्दा पड़ना
|
अर्थ - तेरी अक्ल पर भी पत्थर पड़ गए हैं। (शिवानी)
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|102- अक्ल मारी जाना
|
अर्थ - समय पर बुद्धि का यथोचित काम न करना।
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|103- अक्ल लड़ाना
|
अर्थ - किसी निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए माथापच्ची करना।
|-
|104- अक्ल सठिया जाना
|
अर्थ - बुद्धि का ह्रास होने लगना।
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|105- अक्ल से काम न लेना
|
अर्थ - विवेक पूर्वक काम न करना।
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|106-अपने पैर बीतना
|
अर्थ - स्वयं सहना, बर्दाश्त करना।
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|107-[[अपने पैर काटना|अपने पैर काटना/अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना]]
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अर्थ - अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना,ऐसा काम करना जिससे स्वयं अपना बहुत बड़ा अहित या हानि होती हो।
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|108-[[अपने पैरों]]
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अर्थ - पैदल चलकर।
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|109-[[अपने मरे बिना स्वर्ग न मिलना]]
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अर्थ - स्वयं करने पर ही कोई काम होना, बिना कष्ट उठाए सफलता न मिलना।
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|110-[[अपने मुँह मिट्ठू बनना|अपने मुँह/मुख/मियाँ मिट्ठू बनना]]
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अर्थ -अपनी बड़ाई स्वयं करना।
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|111. [[अख़बार की सुर्खियों में रहना]]
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अर्थ - खूब चर्चित होना।
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|112. [[अघाना]]
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अर्थ - तृप्त होना।
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|113. [[अचार डालना]]
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अर्थ - निष्प्रयोजन रखे रखना।
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|114. [[अच्छे आना]]
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अर्थ - विशेषत: शुभ अवसर पर किसी के यहाँ पहुँचना।
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|115. [[अच्छे घर बयाना देना]]
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अर्थ - ऐसे व्यक्ति से झगड़ा खड़ा करना जो अपेक्षाकृत अधिक शक्तिशाली हो।
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|116. [[अच्छी आँख से देखना]]
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अर्थ - अच्छे भाव से देखना।
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|117. [[अ‍पनी बात का पूरा होना]]
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अर्थ - अपने वचन का पक्का होना।
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|118. [[अपनी बात का होना]]
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अर्थ - अपनी बात का पक्का होना।
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|119. [[अपनी बात का एक ही]]
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अर्थ - ऐसा व्यक्ति जो अपने वचन का इतना पक्का हो कि बहुतों में से एक हो।
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|120. [[अपनी बात का पक्का]]
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अर्थ - ऐसा व्यक्ति जो अपना वचन सदा निभाता हो।
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|121. [[अपनी बात पर आना]]
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अर्थ - अपने सहज स्वभाव के अनुसार (पुन: वही) काम करने लगना।
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|122. [[अपनी मारना]]
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अर्थ - अपनी ही बात कहना (फलत: दूसरों की न सुनना)।
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|123. [[अपनी मौत मरना]]
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अर्थ - स्वाभाभिक ढंग से मारना, प्राक्रतिक नियम के अनुसार मरना।
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|124. [[अपनी सी करना]]
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अर्थ - औंरों के विचारों की परवाह किए बिना अपनी मर्ज़ी
का काम करना।
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|125. [[अपनी हाँकना]]
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अर्थ - अपनी ही बात कहते जाना।
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|126. [[अपने ऊपर ओढ़ना]]
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अर्थ - जवाबदेही, निर्वाह आदि का भार ग्रहण करना।
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|127. [[अरमान ठंडे पड़ना]]
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अर्थ - इच्छाओं की पूर्ति न होने के कारण उत्साह नष्ट होना।
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|128. [[अर्थ खुलना]]
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अर्थ - आशय स्पष्ट हो जाना।
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|129. [[अर्थ न रखना]]
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अर्थ - बेकार या व्यर्थ होना,किसी अर्थ का न होना।
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|130. [[अर्दल में रहना]]
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अर्थ - दरबारदारी करना, आधीनता में रहना।
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|131. [[अलग से]]
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अर्थ - अतिरिक्त रूप से, और अधिक।
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|132. [[अल्लाह को प्यारा होना]]
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अर्थ - मर जाना।
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|133. [[अवकाश न होना]]
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अर्थ - फुर्सत न होना, गुंजाइश न होना।
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|134. [[अवधि बदना]]
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अर्थ - किसी काम के लिए समय निश्चित करना।
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|135. [[अच्छे दिन आना]]
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अर्थ - सुख-समृद्धि का समय आना।
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|136. [[अछूत रहना]]
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अर्थ - प्रभावित या ग्रस्त न होना।
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|137. [[अजीब लगना]]
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अर्थ - विचित्र प्रतीत होना।
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|138. [[अटकल लड़ाना]]
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अर्थ - अनुमान लगाना, उपाय सोचना।
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|139. [[अटका रहना]]
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अर्थ - रुकना, टिकना, ठहरना।
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|140. [[अठखेलियाँ सूझना]]
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अर्थ - केलि-क्रीड़ा की ओर प्रवत्त होना।
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|141. [[अड़ंगा लगाना]]
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अर्थ - किसी के होते हुए काम में बाधा उपस्थित करना।
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|82- अन्‍न जल उठ जाना।
|142. [[अड़ जाना]]
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अर्थ - किसी जगह से चले जाना।
अर्थ - हठ पकड़ लेना, ज़िद न छोड़ना।
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|83- अन्‍न न लगना।
|143. [[अड़चन आ पड़ना]]
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अर्थ - खा-पीकर भी मोटा न होना।  
अर्थ - झंझट या बखेड़ा उठ खड़ा होना।
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|84- अपना-अपना राग अलापना।
|144. [[अड़ियल टट्टु]]
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अर्थ - अपनी ही बातें कहना।
अर्थ - टट्टु की तरह अड़ियल व्यक्ति।
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|85- अपना उल्‍लू सीधा करना।
|145. [[अपना स्थान बना लेना]]
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अर्थ - अपना मतलब निकालना।
अर्थ - किसी संस्था, समाज आदि से उपयुक्त तथा सम्मानपूर्ण पद या स्थिति प्राप्त कर लेना।
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|86- अपना सा मुँह लेकर रह जाना।
|146. [[अपना हाथ कटा लेना]]
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अर्थ - लज्जित होना।
अर्थ - अपनी धन-संपत्ति या शक्ति दूसरों को दे बैठना (फलतः स्वयं विवश हो जाना)।
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|87- अपनी खाल में मस्‍त रहना।
|147. [[अपनी अपनी अलापने चलना]]
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अर्थ - अपनी दशा से संतुष्‍ट रहना।  
अर्थ - सब लोगों का अपने-अपने स्वार्थ या लाभ की बात बराबर कहते रहना।
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|88- अपनी खिचड़ी अलग पकाना।
|148. [[अपनी अपनी पड़ना]]
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अर्थ - अलग-थलग रहना।
अर्थ - हर एक का अपनी अपनी सुरक्षा या स्वार्थ साधन में संलग्न हो जाना।
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|89- अपने पांव पर आप कुल्‍हाड़ी मारना।
|149. [[अपनी करना]]
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अर्थ - अपना अहित करना।  
अर्थ - मनमाना आचरण करना।
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|90- अपने पैरों पर खड़ा होना।
|150. [[अपनी खाल में मस्त होना]]
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अर्थ - स्‍वावलंबी होना।  
अर्थ - अपनी शारीरिक अवस्था से पूर्णतः संतुष्ट होना।
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|91- अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनाना।
|151. [[अपनी खिचड़ी अलग पकाना]]
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अर्थ - अपनी बड़ाई आप ही करना।
अर्थ - अलग-थलग रहना, किसी के दुःख- सुख में सहभागी न होना।
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|92- अपने में न होना।
|152. [[अपनी गाँठ ख़ाली होना]]
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अर्थ - होश में न होना।  
अर्थ - पास में पैसा न होना।
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|93- अब तब करना।
|153. [[अपनी गाना]]
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अर्थ - टाल देना।
अर्थ - अपनी बात कहते जाना।
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|94- अब तब होना।
|154. [[अपनी गौं का यार]]
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अर्थ - मरने वाला होना।
अर्थ - ऐसा व्यक्ति जो अपना काम निकालने के उद्देश्य से दूसरों से दोस्ती करता हो।
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|95- अबे-तबे करना।
|155. [[ग़रज़ बाबली होना]]
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अर्थ - आदर से न बोलना।
अर्थ - अपनी आवश्यकता कुछ भी (विशेषतः कोई अप्रिय काम) करने के लिए विवश करती है।
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|156. [[गरदन उठाना]]
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अर्थ - विरोध में खड़ा होना, प्रतिरोध या विद्रोह करना।
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[[Category:कहावत लोकोक्ति मुहावरे]]
[[Category:कहावत लोकोक्ति मुहावरे]]
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09:20, 11 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

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कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ
1- अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम, दास मलूका कह गए सब के दाता राम ..। अर्थ - अजगर को किसी की नौकरी नहीं करनी होती और पक्षी को भी कोई काम नहीं करना होता, ईश्वर ही सबका पालनहार है, इसलिए कोई भी काम मत करो ईश्वर स्वयं देगा। आलसी लोगों के लिए श्री मलूकदास जी का ये कथन बहुत ही उचित है !
2- असाढ़ जोतो लड़के ढार, सावन भादों हरवा है। क्वार जोतो घर का बैल, तब ऊंचे उनहारे।। अर्थ -किसान को आषाढ माह में साधारण जुताई करनी चाहिए, सावन भादों में अधिक, परन्तु क्वार में बहुत अधिक जुताई करें कि दिन-रात का ध्यान ना रहे, तभी अच्छी और ज़्यादा उपज होगी।
3- अधजल गगरी छलकत जाय अर्थ - जो व्यक्ति बहुत कम जानता है, वह विद्वान् ही होने का दिखावा ज़्यादा करता है।
4- अति ऊँचे भू-धारन पर भुजगन के स्थान।। तुलसी अति नीचे सुखद उंख अन्न असपान।। अर्थ - तुलसीदास जी कहते हैं कि, खेती ऐसे ऊँचे स्थानों पर करनी चाहिए, जहाँ पर साँप रहते हों, पहाड़ों के ढाल पर उंख हो, वहीं पर अन्न और पान की अच्छी फ़सल होती है।
5- अद्रा भद्रा कृत्तिका, अद्र रेख जु मघाहि।। चँदा ऊगै दूज को सुख से नरा अघाहि।। अर्थ - यदि द्वितीया का चन्द्रमा, आर्द्रा नक्षत्र, कृत्तिका, श्लेषा या मघा में अथवा भद्रा में उगे तो मनुष्य सुखी रहते हैं।
6- अखै तीज तिथि के दिना, गुरु होवे संजूत।। तो भाखैं यों भड्डरी, उपजै नाज बहूत।। अर्थ - अगर वैशाख में अक्षय तृतीया को गुरुवार पड़े तो ख़ूब अन्न पैदा होगा।
7- असुनी नलिया अन्त विनासै। गली रेवती जल को नासै।। भरनी नासै तृनौ सहूतो। कृतिका बरसै अन्त बहूतो।।

अर्थ - अगर चैत माह में अश्विनी नक्षत्र में बारिश हो तो, वर्षा ऋतु के अन्त में झुरा पड़ेगा; रेतवी नक्षत्र बरसे तो वर्षा नाम मात्र की होगी; भरणी नक्षत्र बरसे तो घास भी सूख जाएगी और कृतिका नक्षत्र बरसे तो अच्छी वर्षा होगी।

8- असाढ़ मास आठें अंधियारी। जो निकले बादर जल धारी।। चन्दा निकले बादर फोड़। साढ़े तीन मास वर्षा का जोग।।

अर्थ - अगर आषाढ़ माह की अष्टमी को अन्धकार छाया हुआ हो, और चन्द्रमा बादलों से निकले तो बहुत आनन्ददायी वर्षा होगी और पृथ्वी पर आनन्द की बारिश सी होगी।

9- असाढ़ मास पूनो दिवस, बादल घेरे चन्द्र। तो भड्डरी जोसी कहैं, होवे परम अनन्द।। अर्थ - अगर आषाढ़ माह की पूर्णिमा को चन्द्रमा बादलों से ढ़का रहे, तो भड्डरी ज्योतिषी कहते हैं कि उस वर्ष आनन्द ही आनन्द रहेगा।
10- अबे-तबे करना। अर्थ - आदर से न बोलना।
11- अंधों का हाथी अर्थ -किसी विषय का पूर्ण ज्ञान ना होना।
12- अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनाना। अर्थ - अपनी बड़ाई आप ही करना।
13- अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत।

अर्थ - समय रहते काम ना करना और नुक़सान हो जाने के बाद पछताना। जिससे कोई लाभ नहीं होता है।

14- अंडा सिखावे बच्चे को चीं-चीं मत क…

अर्थ - छोटे का बड़े को उपदेश देना।

15- अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे को॥

अर्थ - परिश्रम कोई व्यक्ति करे और लाभ किसी दूसरे को हो जाए।

16-अंडे होंगे तो बच्चे बहुतेरे हो जाएंगे।

अर्थ - मूल वस्तु प्राप्य रहेगी तो उससे बनने वाली वस्तुएँ तो निश्चित ही प्राप्त होती रहेंगी।

17- अंत भला तो सब भला।

अर्थ - परिणाम अच्छा हो जाए, तो सभी कुछ अच्छा मान लिया जाता है।

18- अंत भले का भला।

अर्थ - दूसरों की भलाई करने से अपना भी भला हो जाता है।

19- अढ़ाई दिन की बादशाहत।

अर्थ - थोड़े दिन की शान-शौक़त।

20- अधर में लटकना या झूलना

अर्थ - द्विविधा में पड़ा रह जाना।

21- अन्‍न जल उठ जाना।

अर्थ - किसी जगह से चले जाना।

22- अन्‍न न लगना।

अर्थ - खा-पीकर भी मोटा न होना।

23- अपना-अपना राग अलापना।

अर्थ - अपनी ही बातें कहना।

24- अपना उल्‍लू सीधा करना।

अर्थ - अपना मतलब निकालना।

25- अपना सा मुँह लेकर रह जाना।

अर्थ - लज्जित होना।

26- अपनी खाल में मस्‍त रहना।

अर्थ - अपनी दशा से संतुष्‍ट रहना।

27- अपनी खिचड़ी अलग पकाना।

अर्थ - अलग-थलग रहना।

28- अपने पांव पर आप कुल्‍हाड़ी मारना।

अर्थ - अपना अहित स्वयं करना।

29- अपने पैरों पर खड़ा होना/अपने पाँव (पर) खड़ा होना

अर्थ - अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धन कमाने में समर्थ होना, स्‍वावलंबी होना, अपने पैरों पर खड़ा होना

30- अपने में न होना।

अर्थ - होश में न होना।

31- अंधेर नगरी चौपट राजा,

टके सेर भाजी टके सेर खाजा।

अर्थ - जहाँ मुखिया ही मूर्ख हो, वहाँ अन्याय होता ही है।

32- अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।

अर्थ - अकेला व्यक्ति बड़ा काम नहीं कर सकता।

33- अकेला हँसता भला न रोता भला।

अर्थ - सुख-दु:ख में साथी की आवश्यता पड़ती है, व्यक्ति ना अकेला रो सकता है और ना ही अकेला हँस सकता है।

34- अक्ल बड़ी या भैंस।

अर्थ - शारीरिक शक्ति का महत्त्व कम होता है, बुद्धि का अधिक।

35- अच्छी मति जो चाहो, बूढ़े पूछन जाओ।

अर्थ - बड़े–बूढ़ों की सलाह से कार्य सिद्ध हो जाते हैं, क्योंकि उनका अनुभव काम आता है।

36- अब के बनिया देय उधार।

अर्थ - अपनी ज़रुरत आ पड़ती है, तो आदमी सब कुछ मान जाता है, हर शर्त स्वीकार कर लेता है।

37- अटकेगा सो भटकेगा।

अर्थ - दुविधा या सोच–विचार में पड़ जाते हैं, तो काम अधूरा ही रह जाता है।

38- अढ़ाई हाथ की लकड़ी, नौ हाथ का बीज।

अर्थ - अनहोनी बात होना।

39- अनजान सुजान, सदा कल्याण।

अर्थ - मूर्ख और ज्ञानी हमेशा सुखी रहते हैं।

40- अपना-अपना कमाना, अपना-अपना खाना।

अर्थ - किसी के साथ साझा करना अच्छा नहीं होता।

41- अपना ढेंढर देखे नही, दूसरे की फुल्ली निहारे।

अर्थ - अपने ढ़ेर सारे दुर्गण दिखायी नहीं देते हैं, और दूसरे के अवगुण की चर्चा करना।

42- अपना मकान कोट (क़िले) समान।

अर्थ - अपने घर में जो सुख होता है, वह बाहर कहीं नहीं होता है।

43- अपना रख पराया चख।

अर्थ - अपनी चीज़ सम्भाल कर रखना और दूसरों की चीज़ को इस्तेमाल करना।

44- अपना लाल गँवाय के दर-दर माँगे भीख।

अर्थ - अपनी चीज़ बहुमूल्य होती है, उसे खोकर व्यक्ति दूसरों का आश्रित हो जाता है।

45- अपना ही पैसा खोया तो परखने वाले का क्या दोष।

अर्थ - अपना ही सामान ख़राब हो तो दूसरों को दोष देना सही नहीं होता है।

46- अपनी–अपनी खाल में सब मस्त।

अर्थ - व्यक्ति अपनी परिस्थिति से सतुष्ट रहे, शिकायत ना करे।

47- अपनी-अपनी तुनतुनी (ढफली), अपना-अपना राग।

अर्थ - सब अलग-अलग अपना मनमाना काम कर रहे हों।

48- अपनी करनी पार उतरनी।

अर्थ - खुद अपना किया काम ही फलदायक या लाभदायक होता है।

49- अपनी गरज से लोग गधे को भी बाप बनाते हैं।

अर्थ - स्वार्थ के लिए व्यक्ति को छोटे आदमी की खुशामद भी करनी पड़ती है।

50- अपनी गरज बावली।

अर्थ - स्वार्थ में आदमी दूसरों की चिंता नहीं करता।

51- अपनी गली में कुत्ता भी शेर।

अर्थ - व्यक्ति का अपने घर में ही ज़ोर होता है।

52- अपनी गाँठ पैसा तो, पराया आसरा कैसा।

अर्थ - आदमी स्वयं समर्थ हो तो किसी दूसरे पर आश्रित क्यों रहेगा।

53- अपनी चिलम भरने को मेरा झोपड़ा जलाते हो।

अर्थ - अपने ज़रा से लाभ के लिए किसी दूसरे की बड़ी हानि करना।

54- अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं कहता।

अर्थ - अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं बताता।

55- अपनी टाँग उघारिए, आपहि मरिए लाज।

अर्थ - अपने घर की बात दूसरों से कहने से व्यक्ति की खुद की ही बदनामी होती है।

56- अपनी नींद सोना, अपनी नींद जागना।

अर्थ - पूर्ण रूप से स्वतंत्र होना।

57- अपनी नाक कटे तो कटे दूसरों का सगुन तो बिगड़े।

अर्थ - दुष्ट लोग दूसरों का नुक़सान करते ही हैं, भले ही उनका अपना भी कितना ही नुक़सान हो जाए।

58- अपनी पगड़ी अपने हाथ,

अर्थ - अपनी इज्जत अपने हाथ होना।

59- अपने किए का क्या इलाज।

अर्थ - अपने कर्म का फल खुद भोगना ही पड़ता है।

60- अपने झोपड़े की खैर मनाओ।

अर्थ - अपनी कुशल देखो या अपनी भलाई देखो।

61- अपने पूत को कोई काना नहीं कहता।

अर्थ - अपनी ख़राब चीज़ को भी कोई ख़राब नहीं कहता है।

62- अपने मुँह मिया मिट्ठू बनाना।

अर्थ - अपनी बड़ाई खुद ही करना।

63- अब की अब के साथ, जब की जब के साथ।

अर्थ - सदा वर्तमान में ही रहना चाहिए और आज की ही चिंता करनी चाहिए।

64- अब सतवंती होकर बैठी, लूट लिया सारा संसार।

अर्थ - सारी उम्र तो व्यक्ति बुरे काम करता रहा और बाद में संत बनकर बैठ जाए।

65- अभी तो तुम्हारे दूध के दाँत भी नहीं टूटे।

अर्थ - अभी तो तुम्हारी उम्र कम है और अभी तुम बच्चे हो और नादान और अनजान हो।

66- अभी दिल्ली दूर है।

अर्थ - अभी कसर बाकी है, अभी काम पूरा नहीं हुआ।

67- अमरी की जान प्यारी, ग़रीब को दम भारी।

अर्थ - ग़रीब की जान के लाले पड़े हैं।

68- अरहर की टट्टिया, गुजराती ताला।

अर्थ - मामूली वस्तु की रक्षा के लिए इतना बड़ा इन्तज़ाम।

69- अलख पुरुष की माया, कहीं धूप कहीं छाया।

अर्थ - ईश्वर की लीला देखिए- कोई सुखी है और कोई दु:खी है।

70- अशर्फ़ियाँ लुटें और कोयलों पर मोहर।

अर्थ - मूल्यवान वस्तु भले ही दे दें, पर छोटी-छोटी चीज़ों को बचा-बचा कर रखने की आदत।

71- अब तब करना।

अर्थ - टाल देना।

72- अक्‍ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना।

अर्थ - मूर्खता का काम करना।

73- अक्‍ल पर पत्‍थर/परदा पड़ना।

अर्थ - समझ न रहना।

74- अगर-मगर करना

अर्थ - बहाना करना, हीला-हवाली करना।

75- अटकलें भिड़ाना।

अर्थ - उपाय सोचना।

76- अठखेलियाँ सूझना।

अर्थ - हँसी-दिल्‍लगी करना।

77- अडियल टट्टू।

अर्थ - हठी, जिद्दी।

78- अड्डे पर चहकना।

अर्थ - अपने घर पर रोब दिखाना।

79- अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना।

अर्थ - सब से अलग सोच–विचार रखना।

80-अक्ल का पूरा

अर्थ - बिल्कुल बुद्‍धू, परम मूर्ख।

81-अक्ल के घोड़े दौड़ना

अर्थ - हवाई योजनाएँ बनाना।

82-अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना

अर्थ - सदा मूर्खतापूर्ण बातें या काम करते रहना।

83-अक्ल खुल जाना

अर्थ - समझदारी की बातें करने लगना।

84-अक्ल गुम होना/हो जाना

अर्थ - बुद्धि मारी जाना, उचित कर्तव्य न सूझना।

85-अक्ल चरने (चली) जाना

अर्थ - समय पर अक्ल का ठीक से काम न करना।

86-अक्ल ठिकाने न होना

अर्थ - आवेश, क्रोध आदि के कारण बुद्धि का यथायोग्य काम करने में असमर्थ होना।

87-अक्ल ठिकाने आना/ लगाना

अर्थ - क्षति, हानि, अपमान आदि होने पर अपनी ग़लती समझ में आना, ग़लत काम करने वाले को दंड देना।

88-अपने मन की करना/अपने मन का होना/अपनी चलाना

अर्थ - मनमानी करना, जो मन में आए वही करना, अपने मन की करना या अपना हुकुम चलाना, दूसरे की न सुनना।,

89- अपनी जान की पड़ना

अर्थ - आत्मरक्षा की फ़िक्र लगना, बच निकलने की सोचने लगना।

90- अपनी जान से हाथ धोना

अर्थ - जान देना,मरना

91-अपनी जेब से देना

अर्थ - अपनी रकम देना।

92- अपनी तरफ़ देखना/देख लेना

अर्थ - स्वयं अपनी औकात या सामर्थ्य आँकना या अपनी करनी पर विचार करना।

93- अपनी दुनिया अलग बसाना

अर्थ - अपनों से दूर जाकर गृहस्थी बसाकर रहना।

94- अपनी पर आ जाना

अर्थ - ठान लेना।

95- अपनी बला से

अर्थ - कुछ फ़र्क नहीं पड़ता

96- अपनी बात ऊपर रखना

अर्थ - अपने कथन को ही महत्व देना और दूसरों के कथन को न मानना।

97- अक्ल से मतलब न होना

अर्थ - मूर्खतापूर्ण आचरण करना।

98- अक्ल देना

अर्थ - किसी को कोई समझदारी की बात बतलाना

99- अक्ल दौड़ाना

अर्थ - खूब सोच-विचार करना।

100- अक्ल पर पत्थर पड़ना।

अर्थ - बुद्धि का भ्रष्ट होना; फलता, व्यक्ति का उलटा-पुलटा काम करना।

101- अक्ल पर पर्दा पड़ना

अर्थ - तेरी अक्ल पर भी पत्थर पड़ गए हैं। (शिवानी)

102- अक्ल मारी जाना

अर्थ - समय पर बुद्धि का यथोचित काम न करना।

103- अक्ल लड़ाना

अर्थ - किसी निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए माथापच्ची करना।

104- अक्ल सठिया जाना

अर्थ - बुद्धि का ह्रास होने लगना।

105- अक्ल से काम न लेना

अर्थ - विवेक पूर्वक काम न करना।

106-अपने पैर बीतना

अर्थ - स्वयं सहना, बर्दाश्त करना।

107-अपने पैर काटना/अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना

अर्थ - अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना,ऐसा काम करना जिससे स्वयं अपना बहुत बड़ा अहित या हानि होती हो।

108-अपने पैरों

अर्थ - पैदल चलकर।

109-अपने मरे बिना स्वर्ग न मिलना

अर्थ - स्वयं करने पर ही कोई काम होना, बिना कष्ट उठाए सफलता न मिलना।

110-अपने मुँह/मुख/मियाँ मिट्ठू बनना

अर्थ -अपनी बड़ाई स्वयं करना।

111. अख़बार की सुर्खियों में रहना

अर्थ - खूब चर्चित होना।

112. अघाना

अर्थ - तृप्त होना।

113. अचार डालना

अर्थ - निष्प्रयोजन रखे रखना।

114. अच्छे आना

अर्थ - विशेषत: शुभ अवसर पर किसी के यहाँ पहुँचना।

115. अच्छे घर बयाना देना

अर्थ - ऐसे व्यक्ति से झगड़ा खड़ा करना जो अपेक्षाकृत अधिक शक्तिशाली हो।

116. अच्छी आँख से देखना

अर्थ - अच्छे भाव से देखना।

117. अ‍पनी बात का पूरा होना

अर्थ - अपने वचन का पक्का होना।

118. अपनी बात का होना

अर्थ - अपनी बात का पक्का होना।

119. अपनी बात का एक ही

अर्थ - ऐसा व्यक्ति जो अपने वचन का इतना पक्का हो कि बहुतों में से एक हो।

120. अपनी बात का पक्का

अर्थ - ऐसा व्यक्ति जो अपना वचन सदा निभाता हो।

121. अपनी बात पर आना

अर्थ - अपने सहज स्वभाव के अनुसार (पुन: वही) काम करने लगना।

122. अपनी मारना

अर्थ - अपनी ही बात कहना (फलत: दूसरों की न सुनना)।

123. अपनी मौत मरना

अर्थ - स्वाभाभिक ढंग से मारना, प्राक्रतिक नियम के अनुसार मरना।

124. अपनी सी करना

अर्थ - औंरों के विचारों की परवाह किए बिना अपनी मर्ज़ी का काम करना।

125. अपनी हाँकना

अर्थ - अपनी ही बात कहते जाना।

126. अपने ऊपर ओढ़ना

अर्थ - जवाबदेही, निर्वाह आदि का भार ग्रहण करना।

127. अरमान ठंडे पड़ना

अर्थ - इच्छाओं की पूर्ति न होने के कारण उत्साह नष्ट होना।

128. अर्थ खुलना

अर्थ - आशय स्पष्ट हो जाना।

129. अर्थ न रखना

अर्थ - बेकार या व्यर्थ होना,किसी अर्थ का न होना।

130. अर्दल में रहना

अर्थ - दरबारदारी करना, आधीनता में रहना।

131. अलग से

अर्थ - अतिरिक्त रूप से, और अधिक।

132. अल्लाह को प्यारा होना

अर्थ - मर जाना।

133. अवकाश न होना

अर्थ - फुर्सत न होना, गुंजाइश न होना।

134. अवधि बदना

अर्थ - किसी काम के लिए समय निश्चित करना।

135. अच्छे दिन आना

अर्थ - सुख-समृद्धि का समय आना।

136. अछूत रहना

अर्थ - प्रभावित या ग्रस्त न होना।

137. अजीब लगना

अर्थ - विचित्र प्रतीत होना।

138. अटकल लड़ाना

अर्थ - अनुमान लगाना, उपाय सोचना।

139. अटका रहना

अर्थ - रुकना, टिकना, ठहरना।

140. अठखेलियाँ सूझना

अर्थ - केलि-क्रीड़ा की ओर प्रवत्त होना।

141. अड़ंगा लगाना

अर्थ - किसी के होते हुए काम में बाधा उपस्थित करना।

142. अड़ जाना

अर्थ - हठ पकड़ लेना, ज़िद न छोड़ना।

143. अड़चन आ पड़ना

अर्थ - झंझट या बखेड़ा उठ खड़ा होना।

144. अड़ियल टट्टु

अर्थ - टट्टु की तरह अड़ियल व्यक्ति।

145. अपना स्थान बना लेना

अर्थ - किसी संस्था, समाज आदि से उपयुक्त तथा सम्मानपूर्ण पद या स्थिति प्राप्त कर लेना।

146. अपना हाथ कटा लेना

अर्थ - अपनी धन-संपत्ति या शक्ति दूसरों को दे बैठना (फलतः स्वयं विवश हो जाना)।

147. अपनी अपनी अलापने चलना

अर्थ - सब लोगों का अपने-अपने स्वार्थ या लाभ की बात बराबर कहते रहना।

148. अपनी अपनी पड़ना

अर्थ - हर एक का अपनी अपनी सुरक्षा या स्वार्थ साधन में संलग्न हो जाना।

149. अपनी करना

अर्थ - मनमाना आचरण करना।

150. अपनी खाल में मस्त होना

अर्थ - अपनी शारीरिक अवस्था से पूर्णतः संतुष्ट होना।

151. अपनी खिचड़ी अलग पकाना

अर्थ - अलग-थलग रहना, किसी के दुःख- सुख में सहभागी न होना।

152. अपनी गाँठ ख़ाली होना

अर्थ - पास में पैसा न होना।

153. अपनी गाना

अर्थ - अपनी बात कहते जाना।

154. अपनी गौं का यार

अर्थ - ऐसा व्यक्ति जो अपना काम निकालने के उद्देश्य से दूसरों से दोस्ती करता हो।

155. ग़रज़ बाबली होना

अर्थ - अपनी आवश्यकता कुछ भी (विशेषतः कोई अप्रिय काम) करने के लिए विवश करती है।

156. गरदन उठाना

अर्थ - विरोध में खड़ा होना, प्रतिरोध या विद्रोह करना।