कंठमणि

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:34, 19 अक्टूबर 2021 का अवतरण (''''कंठमणि''' - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कण्ठमणि)<ref>{...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

कंठमणि - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कण्ठमणि)[1]

गले में पहना गया रत्न।

उदाहरण-

गजमुकुता कर हार कंठमनि मोहइ हो। - तुलसी ग्रंथावली[2]

2. घोड़े की एक भँवरी जो कंठ के पास होती है।

3. अत्यंत प्रिय वस्तु[3]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 722 |
  2. तुलसी ग्रंथावली, सम्पादक रामचंद्र शुक्ल, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, तृतीय संस्करण
  3. अन्य कोश

संबंधित लेख