कटनि

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कटनि - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी कटना)[1]

  • काट।

उदाहरण-

करत जात जेती कटनि बढ़ि रस सरिता सोत। आलबाल उर प्रेम तरू तितो तितो दृढ़ होत। - कवि बिहारी

  • प्रीति। आसक्ति। रीझन।

उदाहरण-

फिरत जो अटकत कटनि बिन रसिक सुरसन खियाल्। अनत अनत नित नित हितनि कत सकुचावत लाल। - कवि बिहारी

कटनी - संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी कटना)

  • काटने का औज़ार।
  • काटने का काम। फ़सल की कटाई का काम।

उदाहरण-

काटनी के घूँघुर रुनझुन। - वीणा

क्रिया प्रयोग- करना। पड़ना। होना।

मुहावरा- 'कटनी मारना' = वैशाख ज्येष्ठ में अर्थात जोतने के पहले कुदाल से खेतों की घास खोदना।

  • एक ओर से भागकर दूसरी ओर और फिर उधर से मुड़कर किसी ओर, इसी प्रकार आड़े-तिरछे भागना। कटनी।

क्रिया प्रयोग- काटना। मारना।

मुहावरा- 'कटनी काटना' = इधर से उधर और उधर से इधर भागना। दाहिने से बाईं और बाईं से दाहिने ओर भागना।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 748 |

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