कंसमथन

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कंसमथन - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत)[1]

कंसहंता। श्रीकृष्ण

उदाहरण-

जामैं पुनि-पुनि अवतरे, कंसमथन प्रभु अंस। - भूषण ग्रंथावली[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 729 |
  2. भूषण ग्रंथावली, पृष्ठ 2, सम्पादक विश्वनाथप्रसाद मिश्र, साहित्य सेवक कार्यालय, काशी, प्रथम संस्करण

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