कइकुल

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कइकुल - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कवि+कुल)[1]

कविसमूह। कविवर्ग।

उदाहरण-

अक्खर रस वुज्झनिहार नहि कइकुल भिक्खारि भउँ। - कीर्तिलता[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 732 |
  2. कीर्तिलता, पृष्ठ 18, सम्पादक बाबूराम सक्सेना, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, तृतीय संस्करण

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