कँधावर - संज्ञा स्त्रीलिंग {हिन्दी कंधा + आवर = (आवरण) (प्रत्यय)}[1]
1. वह चद्दर या दूपट्टा जो कंधे पर डाला जाता है।
मुहावरा-
कँधावर डालना = किसी पट या दुपट्टे को जनेऊ की तरह कंधे पर डालना।
विशेष- विवाह आदि में कपड़े पहनाकर ऊपर से एक दुपट्टा ऐसा डालते हैं कि इसका एक पल्ला बाएं कंधे पर रहता है और दूसरा छोर पीछे होकर दाहिने हाथ की बगल से होता हुआ फिर बाएं कंधे पर आ पड़ता है। इसे कंधावर कहते हैं।
2. जूए का वह भाग जो बैल के कंधे के ऊपर रहता है।
3. हुड्डक या ताशे की वह रस्सी जिससे उसे गले में लटकाकर बजाते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 731 |
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