कंगन

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कंगन - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कङ्कण)[1]

कंकण

मुहावरा

'कंगन बोहना'

1. दो आदमियों का एक-दूसरे के पंजे को गठना।

2. पंजा मिलाना। पंजा फँसाना।


'हाथ कंगन को आरसी क्या'

प्रत्यक्ष बात के लिये किसी दूसरे प्रमाण की क्या आवश्यकता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्द सागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी.ए. (मूल सम्पादक) |प्रकाशक: शंभुनाथ वाजपेयी द्वारा, नागरी मुद्रण वाराणसी |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 718 |

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