कँधेली - संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी कंधा + एली प्रत्यय)[1]
1. घोड़ागाड़ी का एक साज जिसे घोड़े को जोतते समय उसके गले में डालते हैं। इसके नीचे कोई मुलायम या गुलगुली चीज टॅकी रहती है जिससे घोड़े के कंधे में रगड़ नहीं लगती है।
2. घोड़े या बैल की पीठ पर रखने का सुँड़का या गद्दी। यह चारजामे या पलाभ के नीचे इसलिये रखी जाती है कि उनकी पीठ पर रगड़ न लगे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 731 |
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