कंदरफ

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कंदरफ - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कन्दर्प)[1]

'कंदर्प

उदाहरण- कंठण लहरि कंदरफ की पलटू गुर जी। - रामानंद[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 725 |
  2. रामानंद की हिन्दी रचनाएँ, पृष्ठ 15, सम्पादक पीताम्बर दत्त बड़ध्वाल, नागरी प्रचारिणी सभा, प्रथम संस्करण

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