कंदलिवास - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कन्दल=सोना+वास=निवास)[1]
हिरण्यगर्भ। परमात्मा। ब्रह्मा।
उदाहरण- काया माहँ कदलिवासा काया माहैं है कैलाशा। - दादूदयाल की बानी[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 725 |
- ↑ श्री दादूदयाल की बानी, पृष्ठ 641, सम्पादक सुधाकर द्विवेदी, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी
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