कच्ची गोटी - संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी कच्ची+गोटी)[1]
- चौसर के खेल में वह गोटी जो उठी तो हो पर पक्की न हो।
- चौसर में वह गोटी जो अपने स्थान से चल चुकी हो, पर जिसने आधा रास्ता न पार किया हो।
उदाहरण-
कच्ची बारहि बार फिरासी। - मलिक मुहम्मद जायसी[2]
विशेष- चौसर में गोटियों के चार भेद हैं।
मुहावरा- 'कच्ची गोटी खेलना' =
- नातजुर्बेकार रहना।
- अशिक्षित बने रहना।
- अनाड़ीपन करना।
जैसे- उसने ऐसी कच्ची गोटियाँ नहीं खेली हैं जो तुम्हारी बातों में आ जाये।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 741 |
- ↑ मलिक मुहम्मद जायसी
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