कजरारा - विशेषण (हिन्दी काजर+आरा प्रत्यय)[1]
1.. काजल वाला। जिसमें काजल लगा हो। अंजनयुक्त।
उदाहरण-
(क) फिर दौरत देखियत निचले नैकु रहै न। ये कजरारे कौन पै करत कजाकी नैन। - कवि बिहारी
(ख) कजरारे दृग की घटा जब उनवै जेहि ओर। बरसि सिरावै पुहुमि उर रूप झलान झकोर। - राजा पृथ्वीसिंह
2. काजल के समान काला। काला। स्याह।
उदाहरण-
(क) वह सुधि नेकु करो पिय प्यारे। कमल पात में तुम जल लीनो जा दिन नदी किनारे। तहँ मेरो आाय गयो मृगछौना जाके नैन सहज कजरारे। - प्रतापनारायण मिश्र
(ख) गरजैं गरारे कजरारे अति दीह देह जिनहिं निहारे फिरैं बीर करि धीर भंग। - गिरिधरदास (गोपालचंद्र)
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 744 |
संबंधित लेख
|