कग्गद - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा पुल्लिंग (हिन्दी कागद्)[1]
कागद।
उदाहरण-
सुनिय राज चहुआन वर दिय कग्गद फिर लेह। - पृथ्वीराज रासो[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 735 |
- ↑ पृथ्वीराज रासो, खंड 5, 5।106, सम्पादक मोहनलाल विष्णुलाल पंड्या, श्यामसुंदरदास, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, प्रथम संस्करण
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